देहरादूनः राज्य में अब तक दो वर्गों की लड़ाई सरकार के गिरेबान तक पहुंच गई है. प्रमोशन में आरक्षण पर कर्मचारियों ने निर्णय लिया है कि वो सरकार के कद्दावर मंत्री यशपाल आर्य का प्रदेश भर में पुतला जलाएंगे. जानिए यशपाल आर्य क्यों सैकड़ों कर्मचारियों के लिए विलेन बन चुके हैं. पढ़िए Etv भारत की खास रिपोर्ट.
प्रमोशन में आरक्षण पर नए आदेश की चिंगारी ऐसी सुलगी कि सत्तासीनों को भी जल्द इसकी आंच महसूस होने लगी. करीब एक माह पहले हाई कोर्ट के आदेश से खफा कर्मियों का रुख अब सियासत चलाने वालों की तरफ है.
नाराजगी ऐसी कि कैबिनेट मंत्री के चौक-चौराहों पर पुतले जलाने तक का प्लान तैयार कर लिया गया है. दरअसल प्रमोशन में आरक्षण को लेकर आरक्षित वर्ग का समर्थन करने वाले कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य जनरल ओबीसी एम्प्लाइज एसोशिएशन के निशाने पर हैं.
ये है पूरा मामला
प्रदेश सरकार की नींद उड़ा देने वाला प्रमोशन में आरक्षण मामला सीधे तौर पर कर्मचारियों के प्रमोशन से जुड़ा है. जिसको लेकर सामान्य वर्ग और आरक्षित वर्ग के कर्मचारी आमने-सामने हैं.इसी साल अगस्त माह में हाई कोर्ट ने ज्ञानचंद बनाम उत्तराखंड शासन के मामले पर सुनवाई करते हुए प्रमोशन में आरक्षण व्यवस्था को बहाल कर दिया था.
इसके बाद राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल की. हालांकि इस बीच सरकार ने अंतिम निर्णय होने तक राज्य में इस पर पूरी तरह से रोक लगा दी. प्रमोशन में आरक्षण को लेकर कब क्या हुआ यह भी जानिए.
- साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए sc-st को प्रमोशन में आरक्षण देने से पहले इस वर्ग के आंकड़े जुटाने के आदेश दिए.
- 10 जुलाई 2012 में हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के 2006 के आदेशों को आधार बनाते हुए प्रमोशन में आरक्षण देने पर रोक लगा दी.
- उत्तराखंड सरकार ने 5 सितंबर 2012 को प्रमोशन में आरक्षण को हाई कोर्ट के संबंधित आदेश के आधार पर समाप्त करने का शासनादेश कर दिया.
- इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में 2018 में प्रमोशन में आरक्षण पर एक बार फिर मोहर लगा दी.
- सुप्रीम कोर्ट के इसी जजमेंट को आधार बनाते हुए रुद्रपुर निवासी ज्ञानचंद ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई. जिस पर इसी साल अगस्त माह में हाई कोर्ट ने निर्णय देते हुए उत्तराखंड सरकार के 2012 के उस शासनादेश को निरस्त कर दिया जिसमें प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था को खत्म की गई थी.
- हाई कोर्ट के इस फैसले पर राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की है. साथ ही अंतिम निर्णय आने तक प्रमोशन पर रोक लगाने के आदेश भी दिए हैं.
प्रमोशन में आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद के बीच सरकार ने सीधी भर्ती में नई रोस्टर व्यवस्था को भी मंजूरी दे दी है. जिससे एक बार फिर कर्मचारियों के बीच आपसी सर-फुटव्वल तेज हो गया है. अब जानिए आरक्षण में रोस्टर व्यवस्था क्या है.
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