देहरादून:वैश्विक महामारी कोरोना ने दुनियाभर के लोगों की जिंदगी पर ऐसा ब्रेक लगाया कि दोबारा जिंदगी को पटरी पर लौटने में करीब डेढ़ साल का वक्त लग गया. इस महामारी के दौरान लाखों लोगों ने अपनों को खोया. कई लोग तो अपने अंतिम समय में अपनों की सूरत तक भी नहीं देख पाए. वहीं, इस दौरान व्यापार भी पूरी तरह से ठप रहा. हालांकि, इस कोरोना काल में हर वर्ग और तबके के लोगों ने किसी न किसी तरीके से जरूरतमंदों की मदद करने की पूरी कोशिश की. जिसमें टैक्सी संचालक भी शामिल हैं, इन संचालकों ने कोरोना काल में भी अपनी सेवाएं दी, लेकिन डेढ़ साल का वक्त बीत जाने के बाद भी टैक्सी चालकों का भुगतान नहीं हो पाया है. जिसके चलते टैक्सी संचालक लगातार दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं.
कोरोना काल में कोरोना वॉरियर्स की तरह ही टैक्सी संचालकों ने भी अपनी जान की परवाह किए बगैर न सिर्फ मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाया, बल्कि दवाइयां और अधिकारियों को भी उनके गंतव्य तक पहुंचने का काम किया. ऐसे में 2022 समाप्त होने वाला है, लेकिन अभी तक इन टैक्सी संचालकों का भुगतान नहीं किया गया है.
दफ्तरों का चक्कर लगाने को मजबूर टैक्सी संचालक:कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने किन हालातों में एक-दूसरे की मदद की होगी, इसका अंदाजा सभी को है. यही वजह है कि कोरोना महामारी में अपनी सेवा देने वालों को कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया गया और सम्मानित भी किया गया, लेकिन जिस सिस्टम से लोगों को सबसे ज्यादा उम्मीद होती है. उसी सिस्टम के अधिकारियों ने कोरोना में जान जोखिम में डालकर काम करने वालों की सुध नहीं ली. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योकि कोरोना काल में जो टैक्सी, मैक्स और गाड़ियां परिवहन के लिए लगवाई गई थी, उनको पैसों का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. जिसके चलते टैक्सी संचालक दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.
129 गाड़ियों का करीब 1.17 करोड़ बकाया:परिवहन विभाग ने जिला प्रशासन को जो गाड़ियां मुहैया करवाई थी, वो करीब 6 महीने तक चली. अभी भी 129 गाड़ियां ऐसी हैं, जिनका करीब 1 करोड़ 17 लाख 76 हजार रुपये से ज्यादा का भुगतान बकाया है. जिसकी वजह से वाहन संचालक संबंधित विभागों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी भुगतान नहीं हो पाया हैं. इस मामले में टैक्सी मालिकों और इनसे जुड़े संगठनो ने कई बार बड़े अधिकारियों को पत्राचार भी किया है, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया है. पैसे ना होने की वजह से तो इन टैक्सी मालिकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.
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