देहरादून: उत्तराखंड पुलिस और एसटीएफ ने संयुक्त ऑपरेशन में गुरुवार को देहरादून में इंटरनेशनल कॉल सेंटर का भंडाफोड करते हुए 4 ठगों को पकड़ा था. अब उत्तराखंड एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस साइबर फ्रॉड मामलों की तह तक जाने में जुटी है. इसी कड़ी में गुरुवार (15 जुलाई) को पकड़े गये काॅल सेंटर संचालकों के बारे में पेसिफिक हिल्स अपार्टमेंट से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है. पता चला है कि पकड़े गये चारों व्यक्ति पिछले महीने से पैसिफिक हिल्स के अपॉर्टमेंट में रह रहे थे, जिसका महीने का किराया करीब ₹35 हजार है. काॅल सेंटर में काम करने वाले अन्य लड़कों के लिये इम्पिरियल हाइट्अस राजपुर रोड पर एक पूरा मकान किराये पर लिया गया था, जिसका किराया ₹1,20,000 रुपए है.
देहरादून पुलिस के मुताबिक काॅल सेंटर टूर और ट्रैवल्स के नाम से संचालित हो रहा था, जिसकी आड़ में विदेशी नागरिकों से ठगी की जा रही थी. वहीं, इस साल एसटीएफ उत्तराखंड ने साइबर ठगों के 4 काॅल सेंटरों का भंडाफोड़ किया है. एसटीएफ पकड़े गये काॅल सेंटरों से प्राप्त विदेशी लिंक और उनके खातों की डिटेल्स एफबीआई से साझा करेगी.
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बता दें उत्तराखंड एसटीएफ ने बीती 15 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय फर्जी काल सेंटर का पर्दाफाश करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया था. देहरादून के आईटी पार्क से संचालित हो रहे इस फर्जी कॉल सेंटर पर आज एसटीएफ ने छापा मारकर कई जरूरी सामान और उपकरण बरामद किए हैं. एसटीएफ की टीम आरोपियों के कनेक्शन के साथ ही जानकारी जुटाई है.
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पुलिस के मुताबिक, आरोपियों की डायरी में प्रत्येक दिन में हर पेज पर काफी बड़ी धनराशि का लेन-देन लिखा गया है. प्रत्येक दिन में 8 लाख से 15-16 लाख तक का लेन-देन होना और देशी व विदेशी नागरिकों के नाम के सामने डायरी के प्रत्येक पेज पर अंकित पाए गए हैं. साथ ही डायरी से यह भी पता चला है कि इनके द्वारा एक-एक विदेशी नागरिक से ठगी के दौरान 3 हजार से 5 हजार डाॅलर की धोखाधड़ी की गई है. इस डायरी को भी विवेचना में शामिल किया गया है, जिससे इन नागरिकों की पहचान की जा सके.
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एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि एसटीएफ टीम इस साल अभी तक 4 काॅल सेन्टरों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है. एसटीएफ अब सभी जानकारियों को अमेरिका की एफबीआई के साथ साझा कर रही है. जिससे सम्बन्धित के खिलाफ एफबीआई द्वारा कार्रवाई की जा सके. इसके लिये एफबीआई को उत्तराखंड एसटीएफ सारी जानकारियों के साथ एक पत्र प्रेषित करेगा.
कैसे हुआ पर्दाफाश: बीती 15 जुलाई को STF और साइबर क्राइम पुलिस ने देहरादून के इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पार्क (IT park) से संचालित हो रहे साइबर फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. मामले में छापेमारी में साइबर क्राइम गिरोह के 4 सदस्यों की गिरफ्तारी की गई. वहीं, गिरोह में 14 फरार सदस्यों की तलाश जारी है.
गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान गगन पाल, सिमोन इक्का, मोनू अगरारी और दीपक दिल्ली निवासी के रूप में हुई हैं. यह चारों आरोपी डाटा कलेक्ट कर विदेशी लोगों को फोन कर झांसे में लेते थे और साइबर ठगी को अंजाम देते थे. छापेमारी के दौरान ऑफिस से 20 लैपटॉप सहित कई डेस्कटॉप और मोबाइल के साथ कई अहम डिजिटल दस्तावेज बरामद हुए हैं.
पकड़े गए आरोपी इस नेटवर्क के जरिए विदेशी नागरिकों को कस्टम अधिकारी बनकर साइबर फ्रॉड को अंजाम देते थे. यह गिरोह अमेरिका और अन्य देश के नागरिकों को कस्टम अधिकारी बनकर उनके हवाई जहाज से आने वाले सामान को गैरकानूनी बताते थे और फिर कस्टम में फंसने और मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी करने की धमकी देते थे. नेटवर्क की दूसरी टीम शिकंजे में फंसने वाले लोगों को 'यूएस कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन ऑफिस' का अधिकारी बताकर उनके खिलाफ वारंट जारी कर गिरफ्तारी की धमकी देते थे. वहीं तीसरी टीम खुद को कस्टम का लीगल एडवाइजर बताकर मामले को रफा-दफा करवाने की एवज में वर्चुअल करेंसी और बिटक्वाइन के जरिए पैसे वसूलते थे.
इस गिरोह के अधिकांश सदस्य दिल्ली, हरियाणा, गाजियाबाद के बताए जा रहे हैं. उनकी तलाश की जा रही है. देहरादून से इनका नेटवर्क चल रहा है, लेकिन मुख्य तौर पर दिल्ली से इस पूरे गिरोह का संचालन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है. मुख्यतः यह गिरोह दिल्ली से ऑपरेट किया जा रहा था.
कैसे हुआ भंडाफोड़: एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस ने देहरादून के इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पार्क (IT park) से संचालित हो रहे साइबर फ्रॉड नेटवर्क का संयुक्त टीम ने भंडाफोड़ किया. मामले में छापेमारी में साइबर क्राइम गिरोह के 4 सदस्यों की गिरफ्तारी की गई है. वहीं, गिरोह में 14 फरार सदस्यों की तलाश जारी है. गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान गगन पाल, सिमोन इक्का, मोनू अगरारी और दीपक दिल्ली निवासी के रूप में हुई हैं. यह चारों आरोपी डाटा कलेक्ट कर विदेशी लोगों को फोन कर झांसे में लेते थे और साइबर ठगी को अंजाम देते थे. छापेमारी के दौरान ऑफिस से 20 लैपटॉप सहित कई डेस्कटॉप और मोबाइल के साथ कई अहम डिजिटल दस्तावेज बरामद हुए हैं. फिलहाल एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर पूरे नेटवर्क की कुंडली खंगालने में जुटी है.
पकड़े गए चारों आरोपी इस नेटवर्क के जरिए विदेशी नागरिकों को कस्टम अधिकारी बनकर साइबर फ्रॉड को अंजाम देते थे. एसटीएफ के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर फ्रॉड करने वाला यह गिरोह अमेरिका और अन्य देश के नागरिकों को कस्टम अधिकारी बनकर उनके हवाई जहाज से आने वाले सामान को गैरकानूनी बताते थे और फिर कस्टम में फंसने और मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी करने की धमकी देते थे.
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वहीं, नेटवर्क की दूसरी टीम शिकंजे में फंसने वाले लोगों को 'यूएस कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन ऑफिस' का अधिकारी बताकर उनके खिलाफ वारंट जारी कर गिरफ्तारी की धमकी देते थे. वही इस गिरोह की तीसरी टीम खुद को कस्टम का लीगल एडवाइजर बताकर मामले को रफा-दफा करवाने की एवज में वर्चुअल करेंसी और बिटकॉइन के जरिए पैसे वसूलते थे.