देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गुरुवार को एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो बॉलीवुड फिल्म स्पेशल-26 की तर्ज पर युवाओं को बेवफूक बनाकर उन से ठगी किया करते थे. इस गिरोह का नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैला हुआ है. ये गिरोह सरकारी नौकारी के नाम पर बेरोजगार युवाओं से करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है. एसटीएफ ने इसी गिरोह के मास्टमाइंट विकास चंद्र को देहरादून से ही गिरफ्तार किया है. जबकि इसका दूसरा साथी फरार चल रहा है. जिसकी पुलिस तलाश में जुटी हुई है.
आपने अक्षय कुमार की फिल्म स्पेशल 26 तो देखी ही होगी. स्पेशल 26 मूवी में अक्षय कुमार और उनका गिरोह सीबीआई की फर्जी भर्ती निकालते है. इसी तरह यह गिरोह भी सरकारी नौकरी की भर्ती निकाली था और युवाओं को सेलेक्ट करते थे और उन्हें ज्वाइनिंग लेटर भी देते थे. इतना ही नहीं देश के अलग-अलग हिस्सों में उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाती थी. ये सब काम 2017 से चल रहा था. हालांकि गुरुवार को एसटीएफ ने इस गिरोह का पर्दाफाश कर दिया.
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उत्तराखंड के कई लोगों बनाया शिकार
एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया कि ये गिरोह 2017 से अब कई लोगों को अपना शिकार बना चुका है. देहरादून में इस गिरोह के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई गई थी. जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की. इसी बीच पुलिस ने गुरुवार को रायपुर थाना क्षेत्र के सहस्त्रधारा से आरोपी विकास को गिरफ्तार किया, जो मूल रूप से पौड़ी का रहने वाला है.
एक व्यक्ति से लेते थे 10 लाख रुपए
एसएसपी एसटीएफ के मुताबिक जब आरोपी विकास से पूछताछ की गई तो इस गिरोह की सारी परते खुल गई. ये गिरोह बॉलीवुड फिल्म स्पेशल-26 की तर्ज बेरोजगार युवाओं से ठगी किया करते थे. ये गिरोह फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया रेलवे और दिल्ली एम्स में नौकरी दिलाने के नाम प्रति व्यक्ति से 10 लाख रुपए की ठगी करता था. रुपए देने वाले को इस गिरोह पर कोई शक न हो इसके लिए वे पहली किस्त फोन-पे और बैंक चेक आदी के जरिए लेते थे. बाकी की रमक कैश में लेते थे.
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ऐसे करते थे ठगी
एसएसपी एसटीएफ के मुताबिक, पहले ये कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) रेलवे और ऑल इंडिया मेडिकल (AIIMS) जैसे बड़े संस्थानों में नौकरी की विज्ञप्ति दिखाकर युवक-युवतियों को अपने जाल में फंसाते थे. इसके बाद उनसे आवेदन फार्म भरवाते थे. आवेदन फार्म भरने के बाद उनका इंटरव्यू लिया जाता था. इंटरव्यू के लिए दिल्ली जैसे बड़े शहरों में बुलाया जाता था, यहां पर इंटरव्यू होने के बाद उन्हें सलेक्ट किया जाता था. उन्हें ज्वाइनिंग लेटर दिया जाता था. ठगी का ये सारा खेल सच लगे इसके लिए बकायदा उनका दिल्ली एम्स जैसी जगह पर मेडिकल कराया जाता था.
वहीं, सरकारी नौकरी पाने वाले व्यक्ति की जांच के लिए घर पर एलआईयू अधिकारी भेजा था, जिसके युवाओं को पूरा यकीन हो जाए की, उन्हें सरकारी नौकरी लग गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि शिकजे में फंसे युवाओं को यूपी के गोरखपुर और अन्य जगहों पर ट्रेनिंग भी दी जाती थी. फर्जी आईकार्ड भी बकायदा डाक के जरिए घर में भिजवाए जाते थे. उन्हें सरकारी विभागों के फर्जी ईमेल आईडी दी जाती थी. दूसरा आरोपी जो फरार उसका नाम कपिल सैनी है. इस गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है. पुलिस ने दोनों आरोपियों को बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है.