उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

देहरादून: बिल्डरों पर शिकंजा कसने में नाकाम RERA, अपने ही फैसलों पर नहीं करवा पा रहा अमल - विष्णु कुमार रेरा अध्यक्ष

उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) डिफाल्टर रियल एस्टेट बिल्डरों पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है. रेरा अपने ही फैसलों पर अमल नहीं कर पा रहा है. इसके लिए रेरा मैन पावर की कमी बता रहा है.

Dehradun Hindi News
Dehradun Hindi News

By

Published : Jan 29, 2020, 8:29 PM IST

देहरादून:राज्य में डिफाल्टर रियल एस्टेट बिल्डरों पर शिकंजा कसने में बोना साबित होता दिख रहा है उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा). जी हां, अपने ही द्वारा दिए गए फैसलों को रेरा धरातल नहीं उतार पा रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक फ्लैट व अपार्टमेंट खरीदने वाले पांच सौ से अधिक लोगों की शिकायत बिल्डरों के खिलाफ अलग-अलग विषयों पर रेरा प्राधिकरण में दर्ज हो चुकी है.

इनमें से 370 मामलों में रेरा द्वारा निर्णय ग्राहकों के पक्ष में पैसा वापस करने के दृष्टिगत दिया जा चुका है, लेकिन वाली हैरानी की बात है कि इतने मामलें में डिसीजन आने के बावजूद 250 से अधिक बिल्डरों ने अभी तक रेरा द्वारा दिये गए डिसीजन पर अमल नहीं किया है. उधर, इस समस्या का सबसे बड़ा कारण उत्तराखंड रेरा अध्यक्ष के मुताबिक प्राधिकरण में पहले दिन से ही मैन पावर की कमी रही है. जिसके चलते करवाई ग्राउंड लेबल पर नहीं हो पा रही है. हालांकि, इसके लिए समय पर शासन को इसके लिए प्रस्ताव के माध्यम से अवगत किया जा चुका है.

बिल्डरों पर शिकंजा कसने में नाकाम साबित RERA

राष्ट्रीय रेरा सेमिनार में भी कार्रवाई लंबित होने पर चिंता व्यक्त हुई- रेरा

बीते साल 2019 के अंत में यूपी की राजधानी लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय स्तर पर गहरा प्राधिकरण का सेमिनार आयोजन किया गया था. जिसमें केंद्रीय व राज्य के संबंधित अधिकारी व मुख्यमंत्री शामिल हुए. इस सेमिनार में सबसे बड़ी चिंता का विषय भी यही सामने आया कि रेरा द्वारा की जाने वाली कार्रवाई धरातल पर नहीं दिख रही है.

देहरादून के अलावा हरिद्वार, रुड़की व उधम सिंह नगर जैसे शहरों में लंबे समय से फ्लैट्स अपार्टमेंट जैसे प्रोजेक्ट बिल्डरों की खामियों के चलते आधार पर लटके हुए हैं. ऐसे में घर खरीदने का सपना देखने वाले सैकड़ों लोगों की गाढ़ी कमाई इन प्रोजेक्ट पर लगी हुई है लेकिन समय से कब्जा न मिलने के चलते ग्राहकों की शिकायते रेरा में भारी संख्या में चल रही हैं. ऐसे में प्राधिकरण द्वारा दिए गए निर्णय पर बिल्डरों द्वारा पालन न करने एक बड़ी गंभीर समस्या बनी हुई है.

पढ़ें- शिक्षा मंत्री का बड़ा बयान, कहा- उद्योग बने शिक्षा विभाग को सुधारने का किया प्रयास

रेरा के अध्यक्ष विष्णु कुमार के मुताबिक, प्राधिकरण लगातार इस विषय सुधार लाने में लगा हुआ है. लेकिन मौजूदा समय में जहां एक तरफ रियल स्टेट से जुड़े बिल्डरों की भी कई तरह की आर्थिक समस्याएं उनके सामने जटिल बनी हुई हैं. साथ ही उत्तराखंड रेरा में 18 ऐसे अहम पद ने जिनमें नियुक्ति न होने के चलते रेरा की कार्रवाई जमीनी स्तर पर बाधित हो रही हैं.

उन्होंने बताया कि बिल्डरों के खिलाफ 550 से अधिक अलग-अलग तरह की शिकायतों में रेरा द्वारा का निस्तारण किया गया. जिसमें से 370 से अधिक मामलों में बिल्डरों के खिलाफ पेनल्टी और ग्राहकों को समय से फ्लैट न देने के चलते पैसा वापस करने का निर्णय प्राधिकरण द्वारा दिया जा चुका है, लेकिन 270 से अधिक बिल्डरों ने इस निर्णय पर अभी तक अमल नहीं किया है. ऐसे में इस कार्रवाई को धरातल पर सुनिश्चित करने के लिए सबसे बड़ी समस्या प्राधिकरण के पास मैन पावर की है. हालांकि, लगातार इसके लिए शासन द्वारा प्रयास किया जा रहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details