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प्रदेश में एस्मा के बावजूद ऊर्जा कर्मचारियों की हड़ताल, सचिव ऊर्जा ने अन्य राज्यों को लिखी चिट्ठी

सचिव ऊर्जा सौजन्या ने उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव ऊर्जा समेत हरियाणा और हिमाचल के प्रमुख सचिव ऊर्जा को भी पत्र लिखकर उत्तराखंड के विद्युत उप खंडों में कर्मचारियों की हड़ताल की स्थिति में अपने प्रदेशों के कर्मचारियों की उत्तराखंड में तैनाती किए जाने की मांग की है.

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Published : Oct 3, 2021, 7:00 AM IST

Uttarakhand power corporation
Uttarakhand power corporation

देहरादून: उत्तराखंड में ऊर्जा निगम कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर सरकार और विभागीय अधिकारियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. आलम ये है कि अब ऊर्जा सचिव ने हिमाचल, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर हड़ताल की स्थिति में कर्मचारियों की राज्य में तैनाती की मांग की है. आखिर प्रदेश में हड़ताल को लेकर क्यों घबराए हुए हैं अधिकारी यह भी जानिए...

राज्य में ऊर्जा कर्मचारियों ने 6 अक्टूबर से हड़ताल की चेतावनी दी हुई है और इसको लेकर पूर्व में कई नोटिस भी निगम प्रबंधन को दिए गए हैं. स्थिति यह है कि 6 अक्टूबर से पहले ही शासन ने हड़ताल को रोकने के लिए एस्मा लगा दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी कर्मचारी हड़ताल करने को अडिग हैं.

ऐसे में निगम प्रबंधन और शासन के अधिकारियों की घबराहट और भी ज्यादा बढ़ गई है. इसी के मद्देनजर अब सचिव ऊर्जा सौजन्या ने उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव ऊर्जा समेत हरियाणा और हिमाचल के प्रमुख सचिव ऊर्जा को भी पत्र लिखकर उत्तराखंड के विद्युत उप खंडों में कर्मचारियों की हड़ताल की स्थिति में अपने प्रदेशों के कर्मचारियों की उत्तराखंड में तैनाती किए जाने की मांग की है.

वहीं, इसके लिए बकायदा सचिव ऊर्जा सौजन्या ने इन सभी प्रदेशों के अधिकारियों को चिट्ठी भी भेज दी है, जबकि खबर है कि इन प्रदेशों की तरफ से अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती के संबंध में निर्देश दिए जा रहे हैं. बड़ी बात यह है कि कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर दूसरे राज्यों से सहायता मांगी जा रही है लेकिन उत्तर प्रदेश में उर्जा कर्मचारी संगठन ने उत्तराखंड में हड़ताल होने की स्थिति में उनके प्रदेश से कर्मचारियों को तैनाती दिए जाने का खुला विरोध कर दिया है.जाहिर है कि उत्तर प्रदेश के उर्जा कर्मचारी उत्तराखंड के कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन करते हुए तैनाती के विरोध में उतर आए हैं.

वैसे आपको बता दें कि पिछले समय 24 घंटे से भी कम की हड़ताल में ही राज्य को करीब 400 करोड़ का नुकसान होने की खबर सामने आई थी. ऐसे में यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो राज्य को बड़ा झटका लग सकता है. लिहाजा, इस मामले पर निगम प्रबंधन और शासन हर संभव कोशिश में जुट गया है.

पढ़ें-ऊर्जा कर्मचारियों ने शुरू किया सत्याग्रह आंदोलन, 6 अक्टूबर से हड़ताल की चेतावनी

आखिरी मौके पर आई याद : इस मामले में भले ही अब निगम प्रबंधन और शासन की तरफ से तमाम कोशिशें की जाती हुई दिखाई दे रही हो लेकिन हकीकत यह है कि कर्मचारियों की तरफ से पिछले लंबे समय से नोटिस दिए जा रहे हैं. उधर, लगातार निगम प्रबंधन और शासन की तरफ से इसको लेकर कोई खास गंभीरता नहीं दिखाई दी थी, जबकि अब हड़ताल की तारीख नजदीक आते ही निगम प्रबंधन और शासन के हाथ पांव फूल गए हैं.

ऐसे में अब सरकार ने आनन-फानन में तमाम तरह के प्रयास शुरू कर दिए हैं. जबकि, इससे पहले भी कर्मचारियों की मांगों का संज्ञान लेते हुए ऊर्जा निगम के अधिकारी कोई ठोस प्रयास करते हुए कर्मचारियों से हड़ताल के नोटिस को वापस करवा सकते थे.

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