देहरादून: प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है. आलम यह है कि पहाड़ी जनपद तो दूर राजधानी देहरादून में भी सरकारी अस्पतालों के मरीजों को कई बीमारियों की सर्जरी करवाने के लिए प्राइवेट अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ता है. हालत यह है कि कई एडवांस सर्जरी की सुविधा राज्य के अधिकतर जिलों में मौजूद ही नहीं है. ऐसे हालातों में लोगों के पास देहरादून या हल्द्वानी जाकर सर्जरी करवाना एकमात्र विकल्प रहता है. चिंता की बात यह है कि कई बीमारियों में तो सर्जरी को लेकर यहां के भी सरकारी अस्पताल असहाय दिखाई देते हैं. देखिए ये रिपोर्ट...
कैग रिपोर्ट में भी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का जिक्र
उत्तराखंड में सर्जरी को लेकर सरकारी अस्पतालों में हालात कितने खराब हैं, इसका खुलासा हाल ही में कैग रिपोर्ट में सामने आया था. दून मेडिकल कॉलेज, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में कुछ हद तक व्यवस्थाएं जुटाई गई हैं, लेकिन बाकी जिलों में कहीं पर सर्जन नहीं है तो कहीं पर इक्विपमेंट्स की कमी. जिससे सर्जरी के मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
अस्पतालों में व्यवस्थाओं की भारी
हाल ही में आई कैग रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई थी कि हरिद्वार, अल्मोड़ा, उधम सिंह नगर और चमोली जिले में जिला अस्पतालों में व्यवस्थाओं की भारी कमी है. कुछ जनपदों में हाईटेक आईसीयू तक की सुविधा भी नहीं है. वहीं, एक्स-रे मशीन और एंबुलेंस जैसी सामान्य सुविधाओं की भी कमी देखने को मिलती रहती है. यही नहीं पहाड़ी जनपदों में आपातकालीन सर्जरी के लिए अलग से ऑपरेशन थिएटर तक की व्यवस्था नहीं है. कुछ जगहों पर हाईटेक आईसीयू मौजूद नहीं है. तो कुछ जगहों पर योग्य कर्मी और उपकरण की कमी भी दिखाई देती है.
भगवान भरोसे अस्पताल
राज्य में 13 जिलों में से महज तीन से चार जिलों में काम चलाऊ व्यवस्था पर अस्पताल चलाए जा रहे हैं. यही कारण है कि पहाड़ी जनपद उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग से मरीजों को बड़ी सर्जरी के लिए देहरादून का रुख करना पड़ता है. उधर चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर जिलों से लोग हल्द्वानी जाकर सर्जरी कराने को मजबूर हैं. दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सायाना कहते हैं कि मेडिकल कॉलेज में अधिकतर सर्जरी की व्यवस्थाएं मौजूद है, लेकिन इसके बावजूद भी राजधानी के सबसे बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज में अभी कई सर्जरी नहीं हो पा रही है.