उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था निजी अस्पतालों के भरोसे, सर्जरी के लिए भटकते मरीज! - उत्तराखंड सर्जरी के लिए भटकते मरीज

उत्तराखंड में मरीज बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के भरोसे इलाज कराने को मजबूर है. आलम यह है कि पहाड़ी जिलों के साथ-साथ देहरादून स्थित दून मेडिकल कॉलेज में भी कई बीमारियों की सर्जरी उपकरणों के अभाव में नहीं हो पा रहा है.

प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था
प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था

By

Published : Apr 1, 2021, 3:45 PM IST

देहरादून:प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है. आलम यह है कि पहाड़ी जनपद तो दूर राजधानी देहरादून में भी सरकारी अस्पतालों के मरीजों को कई बीमारियों की सर्जरी करवाने के लिए प्राइवेट अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ता है. हालत यह है कि कई एडवांस सर्जरी की सुविधा राज्य के अधिकतर जिलों में मौजूद ही नहीं है. ऐसे हालातों में लोगों के पास देहरादून या हल्द्वानी जाकर सर्जरी करवाना एकमात्र विकल्प रहता है. चिंता की बात यह है कि कई बीमारियों में तो सर्जरी को लेकर यहां के भी सरकारी अस्पताल असहाय दिखाई देते हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

कैग रिपोर्ट में भी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का जिक्र

उत्तराखंड में सर्जरी को लेकर सरकारी अस्पतालों में हालात कितने खराब हैं, इसका खुलासा हाल ही में कैग रिपोर्ट में सामने आया था. दून मेडिकल कॉलेज, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में कुछ हद तक व्यवस्थाएं जुटाई गई हैं, लेकिन बाकी जिलों में कहीं पर सर्जन नहीं है तो कहीं पर इक्विपमेंट्स की कमी. जिससे सर्जरी के मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

अस्पतालों में व्यवस्थाओं की भारी

हाल ही में आई कैग रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई थी कि हरिद्वार, अल्मोड़ा, उधम सिंह नगर और चमोली जिले में जिला अस्पतालों में व्यवस्थाओं की भारी कमी है. कुछ जनपदों में हाईटेक आईसीयू तक की सुविधा भी नहीं है. वहीं, एक्स-रे मशीन और एंबुलेंस जैसी सामान्य सुविधाओं की भी कमी देखने को मिलती रहती है. यही नहीं पहाड़ी जनपदों में आपातकालीन सर्जरी के लिए अलग से ऑपरेशन थिएटर तक की व्यवस्था नहीं है. कुछ जगहों पर हाईटेक आईसीयू मौजूद नहीं है. तो कुछ जगहों पर योग्य कर्मी और उपकरण की कमी भी दिखाई देती है.

भगवान भरोसे अस्पताल

राज्य में 13 जिलों में से महज तीन से चार जिलों में काम चलाऊ व्यवस्था पर अस्पताल चलाए जा रहे हैं. यही कारण है कि पहाड़ी जनपद उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग से मरीजों को बड़ी सर्जरी के लिए देहरादून का रुख करना पड़ता है. उधर चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर जिलों से लोग हल्द्वानी जाकर सर्जरी कराने को मजबूर हैं. दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सायाना कहते हैं कि मेडिकल कॉलेज में अधिकतर सर्जरी की व्यवस्थाएं मौजूद है, लेकिन इसके बावजूद भी राजधानी के सबसे बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज में अभी कई सर्जरी नहीं हो पा रही है.

ये भी पढ़ें:हरिद्वार महाकुंभ का आधिकारिक श्रीगणेश, दो शाही स्नान पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण

दून अस्पताल में कई सर्जरी की व्यवस्था नहीं

दून मेडिकल कॉलेज में माइनर न्यूरो ब्रेन स्पाइन की सर्जरी की जा रही है, यहां पर औरतों से जुड़े सर्जरी और एंटी से जुड़े ऑपरेशन भी हो रहे हैं. यही नहीं हर्निया, ट्यूमर जैसे ऑपरेशन भी किए जा रहे हैं. उधर गायनी से जुड़े ऑपरेशन भी यहां पर होते हैं, लेकिन ना होने वाली सर्जरी की बात करें तो दून मेडिकल कॉलेज में हार्ट के सर्जन तो मौजूद है, लेकिन इक्विपमेंट्स ना होने के कारण यहां पर सर्जरी नहीं होती है. कार्डियोथोरेसिक की सर्जरी नहीं हो पाती, ब्रेन की एडवांस सर्जरी भी यहां पर नहीं होती, यूरोलॉजी सर्जरी के लिए ना तो सर्जन है और ना ही उपकरण मौजूद है. इसमें किडनी गोल्ड ब्लैडर से जुड़ी सर्जरी नहीं होती. दून मेडिकल कॉलेज में रेडियोथैरेपी के लिए भी उपकरण मौजूद नहीं है.

दून अस्पताल भी बदहाल

दून मेडिकल कॉलेज में सर्जरी को लेकर विभिन्न सुविधाएं मौजूद है, लेकिन सरकारी अस्पताल के रूप में सिर्फ इसी अस्पताल में काफी सर्जरी होने के कारण मरीजों का भारी दबाव भी यहां पर रहता है. दून मेडिकल कॉलेज में मार्च से दिसंबर तक कोविड-19 के कारण सर्जरी पूरी तरह से बंद थी. ऐसे में सर्जरी कराने वालों की भारी वेटिंग यहां पर चल रही है. फिलहाल सर्जरी की जा रही है, लेकिन सामान्य हालातों के मुकाबले काफी कम संख्या में लोग सर्जरी करा पा रहे हैं.

उपनलकर्मी हड़ताल का असर

वहीं, उपनल कर्मियों की करीब 1 महीने से हड़ताल होने के चलते भी सर्जरी पर इसका असर दिखाई दे रहा है. कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने के कारण ऑपरेशन थिएटर में कर्मियों की भी कमी दिखाई दे रही है. अंदाजा लगाइए कि करीब सवा करोड़ की जनसंख्या वाले राज्य में तीन से चार सरकारी अस्पताल ही ऐसे हैं, जहां पर सर्जरी की कुछ व्यवस्थाएं मौजूद है. इसके चलते लोग निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं और यहां पर भारी रकम अदा कर अपनी सर्जरी करवाते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details