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2019: उत्तराखंड का राजनीतिक सफरनामा, BJP अर्श और कांग्रेस फर्श पर

उत्तराखंड की राजनीति में अक्सर बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिलते रहते हैं. साल 2019 कुछ नेताओं के लिए लकी रहा तो कुछ नेता सालभर संघर्ष करते नजर आए. आइए डालते हैं एक नजर.

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उत्तराखंड का राजनीतिक सफर

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Published : Dec 23, 2019, 7:03 AM IST

देहरादून:साल 2019 राजनीतिक नजरिए से ऐतिहासिक रहा. केंद्र से लेकर प्रदेश की राजनीति ने इस साल कई उतार-चढ़ाव देखे. उत्तराखंड की बात करें तो कुछ नेताओं के लिए 2019 बेहद खास रहा तो कुछ नेताओं के लिए ये साल निराशाजनक रहा. 2019 में भी जहां बीजेपी का चुनाव रथ आगे बढ़ता रहा तो वहीं कांग्रेस हाशिए पर सिमटती चल गई. साल 2019 किन-किन नेताओं के लिए सौगात ले कर आयी और किन-किन नेताओं के लिए निराशाजनक रहा? जानिए, ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

2019: उत्तराखंड का राजनीतिक सफर

यूं तो राजनीती में उतार चढ़ाव का दौर जारी रहता है. कभी किसी पार्टी का वर्चस्व अधिक होता है तो कभी किसी पार्टी पर जनता ज्यादा भरोसा जताती है. इसके कई उदाहरण उत्तराखंड की राजनीति में समय-समय पर देखने के मिलते रहते है. इस साल प्रदेश में हुए सभी छोटे-बड़े चुनाव में मोदी लहर का बड़ा असर देखने को मिला. यही कारण है कि साल 2019 कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी नेताओं के लिए काफी अच्छा रहा.

निशंक के लिए लकी रहा साल 2019
2019 में बीजेपी के किसी नेता को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिली तो कोई पहली बार संसद तक पहुंचा. हरिद्वार से बीजेपी सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के लिए साल 2019 काफी अच्छा रहा. क्योंकि जहां वे लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर हरिद्वार से लोकसभा में गए तो उन्हें मोदी कैबिनेट में भी मानव संसाधन जैसे बड़े विभाग की जिम्मेदारी भी मिली.

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माला राज्यलक्ष्मी शाह
2019 टिहरी से बीजेपी सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह के लिए भी अच्छा रहा है. क्योंकि 2019 के आम चुनाव में टिहरी की जनता ने उन पर तीसरी बार विश्वास जताया और 2019 में वे एक बार फिर वे टिहरी से चुनाव जीतकर लोकसभा में गई.

तीरथ सिंह रावत पहली बार पहुंचे संसद
बीजेपी के वरिष्ठ नेता तीरथ सिंह रावत के लिए भी साल 2019 बेहद खास रहा. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में वे बीजेपी के दिग्गज नेता भुवन चंद खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी को भारी मतों से हराकर गढ़वाल लोकसभा सीट से संसद पहुंचे.

अजय भट्ट ने बीजेपी को दिलाई बड़ी जीत
राजनीतिक रूप से साल 2019 किसी के लिए सबसे अच्छा रहा तो वे हैं अजय भट्ट. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद अजय भट्ट रानीखेत विधानसभा सीट से हार गए थे. लेकिन पार्टी हाईकमान ने अजय भट्ट पर भरोसा दिखाया और उन्हें नैनीताल-उधम सिंह नगर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा. अजय भट्ट के नेतृत्व में जहां प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने जीती तो वहीं उन्होंने खुद कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पटखनी दी.

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महाराष्ट के राज्यपाल बने भगन सिंह कोश्यारी
साल 2019 उत्तराखंड के बीजेपी नेताओं के लिए सौगात लेकर आयी. इसी कड़ी में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का भी नाम शामिल है. जिन पर बीजेपी आलाकमान ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया है.

नहीं बचा पाए जमीन
कांग्रेस के दिग्गज नेता और सूबे के पूर्व सीएम हरीश रावत साल 2019 में भी कोई करिश्मा नहीं कर पाए. ये साल उनका उन्हें लिए बेहद निराशाजनक रहा. क्योंकि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जहां उनके नेतृत्व में बुरी तरह हार गई तो वहीं 2019 के लोकसभा में भी उनको एक फिर हार का मुंह देखना पड़ा. यहां ये बात जाननी जरूरी है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत ने दो सीटों हरिद्वार-ग्रामीण और किच्छा से चुनावी मैदान पर उतरे थे, लेकिन वे दोनों सीटे हार गए.

ये नेताजी उम्मीदों पर नहीं उतरे खरे

उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के लिए भी साल 2019 बेहद निराशाजनक रहा. क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में उत्तराखंड कांग्रेस लोकसभा की एक भी सीट नहीं जीत सकी और न ही प्रीतम सिंह खुद टिहरी लोकसभा सीट पर अपनी जीत सुनिश्चित कर पाए.

इनका विवादों से रहा नाता
साल 2019 बीजेपी के पूर्व नेता और खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के लिए विवादों भर रहा. उनके विवादियों बयानों और अनुशासनहीनता के कारण इसी साल बीजेपी ने चैंपियन को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया.

उत्तराखंड की राजनीति में बड़ी क्षति

2019 में उत्तराखंड की राजनीति ने बडे़ उतार-चढ़ाव देखे. उत्तराखंड ने इस साल प्रदेश का बड़ा नेता भी खोया है. त्रिवेंद्र सरकार में वित्त मंत्री प्रकाश पंत का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. जो बीजेपी और प्रदेश के लिए बड़ी क्षति थी.

भारतीय जनता पार्टी
साल 2019 उत्तराखंड बीजेपी के लिए बेहद खास रहा है. क्योंकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की सभी पांच लोकसभा सीटों पर भारी बहुमत से जीत दर्ज की. इसके बाद प्रदेश में पंचायत चुनाव में भी बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा. इसके अलावा पिथौरागढ़ उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी और स्व. प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत ने जीत दर्ज की.

कांग्रेस पार्टी
साल 2019 में कांग्रेस कोई खास करिश्मा नहीं कर पाई. क्योंकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी. इसके अलावा हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस कोई बड़ा कमाल नहीं कर पाई.

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