देहरादून: महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर देहरादून पुलिस लाइन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का शुभारंभ डीजीपी अशोक कुमार ने किया. इस दौरान डीजीपी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में बलात्कार, छेड़खानी और पॉक्सो एक्ट के मामलों की जांच के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों को विधिवत जानकारी होनी चाहिए. तभी महिला अपराधों पर सही ढंग से कार्रवाई की जा सकती है.
डीजीपी ने ये भी कहा कि पॉक्सो एक्ट और महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों से संबंधित कानूनों में हुए बदलाव की जानकारियों को भी अपडेट रखें. समय-समय पर कानूनों में जो बदलाव हुआ हैं, उससे महिला पुलिस अधिकारी पूरी तरह से अपडेट रहें. कार्यशाला में पूरे प्रदेश की पुलिस महिला अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
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इसमें से 7 सीओ, 2 इंस्पेक्टर और 110 एसआई महिला पुलिस अधिकारी शामिल हैं. कार्यशाला के दौरान डीजीपी द्वारा पॉक्सो एक्ट के बारे में महिला उपनिरीक्षकों से सवाल पूछे गए तो अधिकतर महिला उपनिरीक्षक सवाल का जवाब नहीं दे पाईं. डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि महिला सुरक्षा के प्रति उत्तराखंड पुलिस संवेदनशील है. महिलाओं से जुड़े अपराधों के कई कानूनों में चेंजेस आये हैं. इनकी जानकारी पब्लिक और हमारे विवेचकों को होनी चाहिए. इसी वजह से ये कार्यशाला आयोजित की गई है.
क्या है पॉक्सो एक्ट: इस अधिनियम (कानून) को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पॉक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया था. इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है. यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए पॉक्सो (POCSO) जिसका पूरा नाम है The Protection Of Children From Sexual Offences Act(प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट) अधिनियम बनाया गया है.