देहरादून:उत्तराखंड में संगीन अपराधों को अंजाम देने बाद पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज सक्रिय गैंगस्टर और बदमाशों पर मित्र पुलिस लगाम लगाने की तैयारी कर रही है. एक दशक बाद नए सिर से ऐसे बदमाशों का सत्यापन शुरु किया गया है. ये अभियान 31 दिसंबर यानी एक महीने तक चलेगा.
इस दौरान पुलिस प्रदेश भर में सक्रिय बदमाशों के आंकड़े जुटाएंगी. हालांकि पुराने रिकॉर्ड के मुताबिक प्रदेश में 100 से ज्यादा संगीन अपराधी सक्रिय थे. जिनमें से कई बदमाशों की मौत हो चुकी है. लेकिन पुलिस के रिकॉर्ड में वे अभी भी जिंदा है. ऐसे में नए सिरे से शुरू किए गए सत्यापन अभियान से साफ हो जाएगा कि कितने नए पुराने बदमाश गैंगस्टर की परिधि में आ रहे हैं. ताकि उन पर नजर रखी जा सके.
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पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, नए सिरे से पुराने गैंगस्टर का सत्यापन कर राज्य में पनप रहे क्राइम को कंट्रोल किया जा सकेंगा और उनके नेटवर्क को नेस्तनाबूद करने में पुलिस को मदद मिलेगी.
1990 और 95 के सक्रिय गैंग
सूबे का राजधानी देहरादून की बात कि जाए तो पुराने रिकॉर्ड के मुताबिक यहां 18 गैंग सक्रिय रहे है. जिसके तीन दर्जन से अधिक बदमाशों की मौत हो चुकी है. देहरादून में 1990 और 95 के दशक में रमेश उर्फ छोटू गैंग का सक्रिय था. ये गैंग अभी भी पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है. इसके अलावा इसी समय का एक और मुन्ना गैंग है, जिसके कई सदस्यों की मौत हो चुकी है. इन दोनों गैंग के अलावा 1998 में पुलिस रिकॉर्ड में जितेंद्र पाल उर्फ जेपी, जुगल किशोर, रवि थापा और गंगाराम जैसे गैंग सक्रिय थे. इन गिरोह के भी कई सदस्यों की मौत भी हो चुकी है.
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पश्चिमी यूपी के बदमाश उत्तराखंड में सक्रिय
बीते कुछ सालों के रिकॉर्ड पर नजर डाले तो देखने में आया है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, नजीबाबाद, हरिद्वार और हापुड़ जिलों में सक्रिय बदमाशों (गिरोह) का नेटवर्क उत्तराखंड से चल रहा है. इन गैंग में चीनू पंडित, सुशील राठी, सुशील मूंछ, प्रवीण वाल्मीकि, कुख्यात अमित भूरा व सचिन खोखर जैसे गैंगस्टर के गैंग का नाम शामिल है. ये वो गैंग है जो उत्तराखंड से जुड़े कई संगीन अपराधों में सक्रिय रहते है. हालांकि इन सब पर उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ ) ने काफी हद तक लगाम लगाया है.
सत्यापन अभियान के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि इस बार पुलिस नए-पुराने गैंग के सदस्यों का आंकड़ा जुटा रही है. इससे पुलिस को पता चल पाएगा कि उत्तराखंड में कितने गैंग अभी भी सक्रिय रहे है और कितने बदमाशों की मौत हो चुकी है. जिन बदमाशों का वर्चस्व खत्म हो चुका है उनको अपडेट करने के साथ ही नए गैंग बनकर जो वारदातों को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं उनकी भी जानकारी रिकॉर्ड में दर्ज की जाएगी. जिन पर पुलिस भविष्य में कार्रवाई करेंगी.