देहरादून:प्रदेश में कई गांव राजस्व क्षेत्र में आते हैं. यहां आज तक राजस्व पुलिस जिम्मा संभाले हुई थी, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद कानून व्यवस्था का जिम्मा रेगुलर पुलिस के हाथों में दिया जाना है. वहीं बीते साल अक्टूबर महीने में कैबिनेट ने राज्य के कई राजस्व क्षेत्रों में थानों और चौकियों को स्थापित करने की हरी झंडी दे दी थी. लेकिन करीब ढाई महीने बाद भी अब तक सभी थानों और चौकियों को स्थापित नहीं किया जा सका है. इसकी वजह पुलिस महकमे के पास इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी का होना है. जिसके चलते जल्द राजस्व क्षेत्रों में चौकियों और थानों को स्थापित करना मुश्किल दिखाई दे रहा है.
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प्रदेश में कानून व्यवस्था का जिम्मा राजस्व पुलिस से रेगुलर पुलिस को हस्तांतरित होना है. लेकिन कैबिनेट की बैठक में फैसला लिए जाने के बाद भी थानों और चौकियों को स्थापित नहीं किया जा सका है. जिसके पीछे की वजह इंफ्रास्ट्रक्चर को बताया जा रहा है.
धामी कैबिनेट का अहम फैसला:धामी कैबिनेट ने राज्य में राजस्व पुलिस को पूरी तरह से खत्म कर रेगुलर पुलिस की तैनाती किए जाने का निर्णय तो ले लिया, लेकिन ढाई महीने बाद भी पहले चरण के तहत 6 थानों और 20 चौकियों को पुलिस विभाग स्थापित करने में नाकाम साबित हुआ है. इसके मद्देनजर समीक्षा बैठकें भी की जाती रही हैं, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर को न जुटा पाने के कारण पुलिस मुख्यालय राजस्व क्षेत्रों में रेगुलर पुलिसिंग की सुदृढ़ व्यवस्था को स्थापित नहीं कर पा रहा है. स्थिति यह है कि कैबिनेट के फैसले के ढाई महीने बाद भी 6 थानों में से केवल दो थाने ही स्थापित हो पाए हैं. यही नहीं 20 चौकियों में अब तक 7 चौकियों को ही खोला जा सका है.
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उठ रहे कई सवाल:यह स्थिति तब है जब सरकार कानून व्यवस्था को बेहतर करने और पुलिसिंग में किसी तरह की बजट की कोई कमी नहीं आने देने के दावे करती रही है. बता दें कि हाईकोर्ट ने 2018 में ही राजस्व पुलिस व्यवस्था को खत्म कर रेगुलर पुलिस के हाथों में देने के निर्देश दिए थे. लेकिन तमाम संसाधनों की कमी के कारण इस पर कभी गंभीरता से विचार नहीं हो पाया, लेकिन अब जब धामी सरकार रेवन्यू पुलिस को खत्म कर रेगुलर पुलिस स्थापित करने के पहले चरण को शुरू करने का फैसला कैबिनेट में ले चुकी है, तब भी इस पर सुस्ती के चलते चौकी और थानों को शुरू कर पाने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है. हालांकि पुलिस विभाग इसके पीछे इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित ना होने को वजह माना जा रहा है, लेकिन प्रदेश में इतने महत्वपूर्ण विषय पर भी इंफ्रास्ट्रक्चर को स्थापित करने की दिक्कतें क्यों आ रही हैं, यह बड़ा सवाल बना हुआ है.