देहरादून: ब्रिटिश शासनकाल में लागू किए गए कानून में कई तरह की खामियों को दूर करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों के पुलिस से सुझाव मांगे गए हैं. जिसे लेकर उत्तराखंड पुलिस द्वारा 30 महत्वपूर्ण सुझाव गृह मंत्रालय को भेजे जाएंगे.
1861 में अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए कानून में कई तरह की खामियों को दूर करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के पुलिस से 15 फरवरी 2020 तक सुझाव मांगे हैं. इसी क्रम में उत्तराखंड पुलिस ने भी देश में पहले से लागू आईपीसी, सीआरपीसी, एविडेंस एक्ट व दुष्कर्म (376) जैसे कई अहम कानूनों में महत्वपूर्ण सुधार लाने के लिए रिपोर्ट तैयार कर 30 अहम सुझावों को गृह मंत्रालय (B.P.R.N.D) को भेजने की तैयारी कर ली है.
अहम सुझाव भेजेगी उत्तराखंड पुलिस इतना ही नहीं देश में नए कानून के तौर पर लागू एनडीपीएस एक्ट (मादक पदार्थों की तस्करी) पॉक्सो एक्ट (नाबालिग से दुष्कर्म) व आईटी एक्ट ( साइबर क्राइम) जैसे अन्य कानूनों में भी लचर व्यवस्था में बदलाव लाकर उन्हें और बेहतर बनाने के सुझाव भी गृह मंत्रालय को भेजे हैं.
ये भी पढ़े:उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में 10 प्रस्तावों पर लगी मुहर, ये रहे अहम बिंदू
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मांगे गए सुझावों को लेकर उत्तराखंड पुलिस विभाग ने पूर्व पुलिस अधिकारियों, सरकारी अधिवक्ताओं, अभियोजन पक्ष और कानून के जानकारों से रायशुमारी कर लगभग एक सप्ताह तक पुलिस मुख्यालय में विस्तृत रूप से चर्चा की. जिसके बाद नए और पुराने कानूनों में अहम बदलाव करने के लिए 30 सुझावों को गृह मंत्रालय भेजा जा रहा है.
इन कानूनों में सबसे ज्यादा बदलाव के सुझाव भेजे गए
1. पॉक्सो एक्ट व 376 कानून में दुष्कर्म व बलात्कार जैसे मामलों में मौजूदा कानून के मुताबिक 2 महीने में इनकी जांच विवेचना पूरी करने की बाध्यता को समाप्त कर इस जांच विवेचना का समय अवधि बढ़ाया जाए. ताकि समय लगने वाले फॉरेंसिक (FSL) जांच, डीएनए और अन्य तरह के अहम साक्ष्य- सबूतों को बेहतर तरीके से जांच पड़ताल कर नाबालिग और महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या करने वाले अपराधियों को न्यायिक प्रक्रिया से सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके.
2. आईटी एक्ट के तहत साइबर क्राइम जैसे अपराधों की जांच-विवेचना इंस्पेक्टर पद अधिकारी से कराने की अनिवार्यता को समाप्त कर सब इंस्पेक्टर पद को दी जाए. ताकि समय से आईटी अट अपराध का निस्तारण हो सके.
3. एनडीपीएस एक्ट के तहत मादक तस्करी अपराध मामले में नशा तस्करों की तलाशी के संबंध में राजपत्रित अधिकारी की उपलब्धता अनिवार्यता को समाप्त कर इसे लचीला बनाया जाए. ताकि नशा तस्करों की धरपकड़ कर उनपर संबंधित पुलिस टीम द्वारा प्रभावी कार्रवाई की जा सके.