देहरादून:गुनाहों की सरपरस्त बनती खाकी पर मित्र पुलिस का स्लोगन भारी पड़ने लगा है. यूं तो कुछ मामलों के चलते पूरे सिस्टम को बदनाम नहीं किया जा सकता, लेकिन जब खाकीधारियों की अपराध से दोस्ती के मामले बढ़ने लगे तो सवाल उठना भी लाजमी है. गैरों से ज्यादा अपने पुलिस विभाग को 'दाग' लगा रहे हैं. क्रिमिनल्स ही नहीं पुलिस डिपार्टमेंट में तैनात पुलिसकर्मी भी पुलिस की साख पर बट्टा लगाने में पीछे नहीं हैं. ईटीवी भारत की दागदार होती खाकी पर विशेष रिपोर्ट...
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अपराध और गुनाहों के बीच पुलिस का नाम आते ही सुरक्षा की भावना जागने लगती है. एक वर्दीधारी का हमारे आस-पास होने का संदेश हमारी सुरक्षा से जुड़ा है, लेकिन यदि खाकी ही हत्या, लूट, बलात्कार जैसे अपराधों को संरक्षण देने लगे तो सोचिए की आम जनता में सुरक्षा को लेकर क्या भावना होगी और पुलिस की छवि पर किस हद तक बट्टा लगेगा.
उत्तराखंड में यूं तो ऐसे कई मामले हैं, जिन्होंने पुलिस की छवि पर न केवल दाग लगाए हैं, बल्कि पुलिस पर आम लोगों के विश्वास को भी कम किया है. 18 साल के उत्तराखंड में पुलिस से जुड़े 16 ऐसे मामले सामने आए हैं जो खाकी के लिए काला अध्याय बन गए है.
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पुलिस से जुड़े 16 काले अध्याय
- उत्तराखंड पुलिस पर सबसे पहला दाग दरोगा भर्ती घोटाले के नाम पर साल 2002-03 में लगा था. इस मामले में विभाग के बड़े अधिकारियों पर अपात्र अभ्यर्थियों को सिलेक्ट करने का आरोप लगा. मामले में तत्कालीन डीजीपी पीडी रतूड़ी और एडीजीपी राकेश मित्तल के खिलाफ 11 साल बाद यानी 2014 में चार्जशीट दाखिल हुई थी.
- दूसरा मामला सीपीयू के दो जवानों द्वारा काठगोदाम में सर्राफा व्यापारी को अगवा कर उससे करीब आठ लाख रुपए लूटने का है. साल 2015 में हुई इस घटना में दोनों जवानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की गई थी.
- 2009 में तो पुलिस के लिए रणबीर एनकाउंटर काला अध्याय बन गया था. इस मामले में पुलिस ने रणबीर नाम के एक युवक को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था. सीबीआई जांच में 18 पुलिसकर्मी दोषी पाए गए थे.
- उत्तराखंड पुलिस से जुड़ा एक और मामला 2012 में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा. जब पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर वन आरक्षित क्षेत्र में पेड़ कटवाने और करीब 9 बीघा वन भूमि को कब्जाने का आरोप लगा था. इस मामले में पुलिस की खूब छीछालेदर हुई थी. मामले में मुकदमा भी दर्ज हुआ था. फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है.
- 2018 में 5 पुलिसकर्मियों के वीडियो वायरल का मामला भी काफी चर्चा में रहा था. इस वीडियो में पांचों पुलिसकर्मी पुलिस लाइन में खुलेआम शराब पीते हुए दिखाई दिए थे. एसएसपी ने सभी पांचों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड भी किया था.
- 2018 में बिंदाल चौकी में तैनात एक सिपाही पर छात्र ने झूठे मामले में फंसाने के डर दिखाकर 20 हजार रुपए लूटने का आरोप लगाया था. इस मामले में सिपाही को तत्काल सस्पेंड किया गया था.
- साल 2018 में हरिद्वार के तत्कालीन सीओ सिटी परीक्षित कुमार के खिलाफ विभाग की ही एक महिला कॉन्स्टेबल ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जिसके बाद पुलिस अधिकारी के खिलाफ ममता बोहरा की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बैठाई गई थी. इसी जांच अभी चल रही है.
- ऋषिकेश में एक महिला पुलिसकर्मी ने योग अकादमी के संचालक को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देकर पांच लाख रुपए ठग लिए थे. इस मामले में एसआईटी एसआई दीपा रानी समेत 4 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.
- साल 2015 में मिशन आक्रोश ने तो उत्तराखंड पुलिस के अनुशासन की धज्जियां उड़ा दी थी. इस अभियान में उत्तराखंड के कई कॉन्स्टेबल अपना वेतन बढ़ाने और विभाग में खुद के साथ हो रहे अन्याय को लेकर एक पत्र जारी कर पूरे महकमे की नींद हराम कर दी थी.
- ऐसा ही एक मामला 2018 में सामने आया था. जब देहरादून के नेहरू कॉलोनी थाना क्षेत्र में 12 लोग जुआ खेलते हुए पकड़े गए थे. जिसमें से एक थाने का सिपाही सुभाष भी था.
- 2018 में उत्तराखंड पुलिस के एक सिपाही को शिक्षक की हत्या के आरोपी में गिरफ्तार किया गया था.
- साल 2019 में पटेल नगर थाने में तैनात यशपाल बिष्ट पर एक महिला के साथ यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगा था. जिसमें जांच के बाद मुकदमा दर्ज किया गया था.
- साल 2017 में पूर्व प्रधान के बेटे के साथ मारपीट कर उसे गलत मुकदमे में फंसाने की कोशिश का आरोप प्रेम नगर थाने में तैनात सिपाही पर लगा था. जिस पर एसएसपी ने जांच बैठा कर तत्काल कार्रवाई की थी.
- खनन व्यवसायियों के साथ पुलिस की साठगांठ का भी मामला सामने आया था. जिसमें विकास नगर की कुल्हाल चौकी के एक दरोगा समेत चार पुलिसकर्मियों को एसएसपी देहरादून ने सस्पेंड किया था.
- पुलिस की छवि खराब करने का ताजा मामला करीब एक करोड़ की लूट का है. बीती 4 अप्रैल को एक दरोगा समेत तीन पुलिसकर्मियों पर गढ़वाल आईजी की गाड़ी का इस्तेमाल करके प्रॉपर्टी डीलर से एक करोड़ रुपए लूटने का आरोप है. हालांकि अभी इस मामले की एसटीएफ जांच कर रही है. इस मामले में तीन पुलिसकर्मी सस्पेंड है.
18 सालों में करीब 16 ऐसे मामले हैं. जिन्होंने उत्तराखंड पुलिस की साख को बट्टा लगाने का काम किया है. हालांकि पुलिस किसी भी हालत में छवि को खराब करने की कोशिश करने वालों को न बख़्सने की बात कर रही है.