देहरादून: कोरोना काल में उत्तराखंड पुलिस की सराहना चारों तरफ हो रही है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तराखंड के उन इलाकों तक पुलिस सहायता पहुंचा रही है. जहां पर प्रशासन पहुंच नहीं पा रहा है. इतना ही नहीं उत्तराखंड पुलिस की तरफ से शुरू किए गए मिशन हौसला से हजारों लोगों को फायदा मिल रहा है. मिशन हौसला के तहत देहरादून के इंद्रेश चौकी इंचार्ज पूर्णानंद की वजह से ना केवल एक जिंदगी बच गई. बल्कि मुंबई में बैठी एक बहन के ट्वीट ने भाई को सहारा भी दिया.
उत्तराखंड पुलिस का मिशन हौसला किस तरह से काम कर रहा है, ये हम आपको बताते हैं. ताकि अगर आपको भी किसी सहायता की जरूरत है तो आप 24 घंटे पुलिस से संपर्क कर सकते हैं. शनिवार को उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार के पास मुंबई में रहने वाली चांदनी शर्मा ने एक ट्वीट के माध्यम से आग्रह किया कि उनका भाई इंद्रेश अस्पताल में भर्ती है और इस समय वह परेशानी में है.
मरीज को लाखों का बिल थमाया
दरअसल, परेशानी यह थी कि चांदनी के भाई को इंद्रेश अस्पताल में जब भर्ती किया गया था, तब मरीज का इलाज पुरानी दरों पर ही कर रहे थे. लेकिन सरकार द्वारा नई दरों को तय किए जाने का चार्ट अस्पताल ने नहीं लगाया. मरीज को भी लगा कि उसका इलाज ₹10 से ₹15 हजार में पूरा हो जाएगा. लेकिन जैसे ही डिस्चार्ज होने की बारी आई अस्पताल में मरीज को एक लाख से ऊपर का बिल थमा दिया, जिसके बाद अस्पताल ने साफ तौर पर यह कह दिया कि जब तक पूरा पेमेंट नहीं होगा, तब तक मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा.
यह बात कोरोना पीड़ित भाई ने अपनी बहन को बताई. बहन ने मुंबई से ही इसकी जानकारी डीजीपी अशोक कुमार समेत कई पुलिस के अधिकारियों को ट्विटर के माध्यम से दी. जिसके बाद डीजीपी ऑफिस से संबंधित अस्पताल के पुलिस अधिकारी को सूचना दी गई. सूचना मिलने के बाद इंद्रेश चौकी इंचार्ज पूर्णानंद अस्पताल पहुंचे. लाख कोशिशों के बाद जब अस्पताल नहीं माना तो पूर्णानंद को सख्ती पर आना पड़ा.