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मददगार साबित हो रहा उत्तराखंड पुलिस का 'मिशन हौसला', ये कहानियां बयां कर रहीं हकीकत - Mahant Indresh Hospital Dehradun

मिशन हौसला के तहत कोरोनाकाल में उत्तराखंड की पुलिस लोगों की हर संभव मदद कर रही है. साथ ही लोगों से कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की अपील भी कर रही है.

Mission encouragement
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Published : May 16, 2021, 5:51 PM IST

देहरादून: कोरोना काल में उत्तराखंड पुलिस की सराहना चारों तरफ हो रही है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तराखंड के उन इलाकों तक पुलिस सहायता पहुंचा रही है. जहां पर प्रशासन पहुंच नहीं पा रहा है. इतना ही नहीं उत्तराखंड पुलिस की तरफ से शुरू किए गए मिशन हौसला से हजारों लोगों को फायदा मिल रहा है. मिशन हौसला के तहत देहरादून के इंद्रेश चौकी इंचार्ज पूर्णानंद की वजह से ना केवल एक जिंदगी बच गई. बल्कि मुंबई में बैठी एक बहन के ट्वीट ने भाई को सहारा भी दिया.

उत्तराखंड पुलिस का मिशन हौसला.

उत्तराखंड पुलिस का मिशन हौसला किस तरह से काम कर रहा है, ये हम आपको बताते हैं. ताकि अगर आपको भी किसी सहायता की जरूरत है तो आप 24 घंटे पुलिस से संपर्क कर सकते हैं. शनिवार को उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार के पास मुंबई में रहने वाली चांदनी शर्मा ने एक ट्वीट के माध्यम से आग्रह किया कि उनका भाई इंद्रेश अस्पताल में भर्ती है और इस समय वह परेशानी में है.

मरीज को लाखों का बिल थमाया

दरअसल, परेशानी यह थी कि चांदनी के भाई को इंद्रेश अस्पताल में जब भर्ती किया गया था, तब मरीज का इलाज पुरानी दरों पर ही कर रहे थे. लेकिन सरकार द्वारा नई दरों को तय किए जाने का चार्ट अस्पताल ने नहीं लगाया. मरीज को भी लगा कि उसका इलाज ₹10 से ₹15 हजार में पूरा हो जाएगा. लेकिन जैसे ही डिस्चार्ज होने की बारी आई अस्पताल में मरीज को एक लाख से ऊपर का बिल थमा दिया, जिसके बाद अस्पताल ने साफ तौर पर यह कह दिया कि जब तक पूरा पेमेंट नहीं होगा, तब तक मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा.

यह बात कोरोना पीड़ित भाई ने अपनी बहन को बताई. बहन ने मुंबई से ही इसकी जानकारी डीजीपी अशोक कुमार समेत कई पुलिस के अधिकारियों को ट्विटर के माध्यम से दी. जिसके बाद डीजीपी ऑफिस से संबंधित अस्पताल के पुलिस अधिकारी को सूचना दी गई. सूचना मिलने के बाद इंद्रेश चौकी इंचार्ज पूर्णानंद अस्पताल पहुंचे. लाख कोशिशों के बाद जब अस्पताल नहीं माना तो पूर्णानंद को सख्ती पर आना पड़ा.

इस दौरान पुलिस ने चेतावनी दी गई कि ऐसे समय में अगर मनमानी की तो ठीक नहीं होगा. लिहाजा, आपदा एक्ट के तहत कार्रवाई भी हो सकती है. इसके बाद पूर्णानंद की तरफ से लगातार संवाद अस्पताल से किया गया. तब कहीं जाकर के एक लाख से ऊपर का जो बिल था, वह ₹40 से ₹45 हजार रुपए में सैटल हुआ. जिसके बाद पेशेंट और उनकी बहन ने उत्तराखंड पुलिस और पूर्णानंद की सराहना की है. इसके लिए उन्होंने पुलिस मुख्यालय को एक संदेश भी भेजा है.

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महिला की जान बचाई

मिशन हौसला के तहत ही पूर्णानंद ने एक और शानदार काम किया. दरअसल, विकास नगर में एक प्रेग्नेंट महिला जिसका बच्चा पेट में ही मर गया था. वो अस्पताल में दर-दर भटक रही थी. लेकिन कोई भी अस्पताल उसे बिना कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट के भर्ती नहीं कर रहा था. इंद्रेश अस्पताल में जब उस महिला को लाया गया तब इंद्रेश में भी उन्हें मना कर दिया गया. पास की चौकी पर बैठे पूर्णानंद को इस बात की सूचना मिली.

पूर्णानंद ने दून अस्पताल सीएमआई और तमाम जगहों पर मरीज को लेकर गए, लेकिन सभी ने कहा कि जब तक मरीज की नेगेटिव रिपोर्ट नहीं आएगी, तब तक भर्ती करना ठीक नहीं रहेगा. बाद में जब महिला का टेस्ट किया गया तो महिला कोरोना पॉजिटिव निकली. 2 दिनों तक पूर्णानंद द्वारा महिला को अस्पताल में एडमिट करवाया गया. जहां पर उसकी डिलीवरी सकुशल हो गई है और महिला की जान बच गई है.

आप भी अपने आसपास हो रही समस्याओं का समाधान मिशन हौसला के तहत उत्तराखंड पुलिस से करवाना चाहते हैं, तो उत्तराखंड पुलिस लगातार अपने नंबर सोशल मीडिया और तमाम प्लेटफार्म पर जारी कर रही है. जरूरतमंदों के लिए मिशन हौसला बेहद कारगर साबित हो रहा है.

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