देहरादून: उत्तर प्रदेश एसटीएफ द्वारा मेरठ में डुप्लीकेट एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) किताबें पकड़ने का मामला सामने आने के बाद उत्तराखंड एसटीएफ भी सतर्क हो गई है. दरअसल, नकली किताबों की छपाई होने के बाद उनकी सप्लाई उत्तराखंड के कई हिस्सों में आने की सूचना है. ऐसे में उत्तराखंड पुलिस इस मामले में यूपी एसटीएफ से टोह लेकर पड़ताल में जुट गई है.
जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड में भी डुप्लीकेट बुक्स की काफी डिमांड है. सस्ते दामों में ये किताबें उपलब्ध होने के कारण व्यापारी अवैध तरीके से इनकी खरीददारी करते हैं. ऐसे में उत्तराखंड के कई हिस्सों में इस काले कारोबार के फलने-फूलने की आशंका जताई जा रही है.
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यूपी एसटीएफ से जानकारी जुटाकर कार्रवाई जारी: डीजी
उधर, इस मामले में राज्य में अपराध व कानून व्यवस्था की कमान संभालने वाले पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि यूपी एसटीएफ के इस भंडाफोड़ के बाद कुछ आशंकाओं के चलते उत्तराखंड एसटीएफ ने यूपी एसटीएफ से जानकारियों का आदान-प्रदान कर उत्तराखंड में भी छानबीन शुरू कर दी है. अगर, ऐसा कोई मामला सामने आता है तो एसटीएफ तुरंत कार्रवाई करेगी.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 21 अगस्त को यूपी एसटीएफ और मेरठ पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में मेरठ में एनसीईआरटी की डुप्लीकेट किताबें छापने का पर्दाफाश हुआ है. यहां छह प्रिंटिंग मशीनें मिली हैं. यहां से बड़ी संख्या में किताबें बरामद हुई हैं. इस किताबों की कीमत 35 करोड़ के आसपास बताई गई है. सभी किताबों पर एनसीईआरटी का नाम व लोगो छपा हुआ है. ये नकली किताबें मेरठ के दिल्ली रोड पर मोहकमपुर एनक्लेव पर होती थीं.
बता दें कि एनसीईआरटी की किताबों की छपाई केवल दिल्ली में होती है. ये किताबें फुटकर विक्रेताओं को 15 प्रतिशत कमीशन पर मिलती हैं. इसके लिये विक्रेताओं को पूरी रकम एडवांस देनी होती है. वहीं, नकली किताबों के लिये न तो एडवांस की जरूरत होती है साथ ही कमीशन भी 30 फीसदी मिल जाता है.
इस मामले के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के आस-पास के राज्यों में खोजबीन तेज कर दी गई है. जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड, दिल्ली सहित आसपास के राज्यों को ये नकली किताबें सप्लाई हो रही थीं.