देहरादून: उत्तराखंड में राज्य सरकार ने वनों की परिभाषा को बदलते हुए वृक्षों के कटान को लेकर नियमों में शिथिलता कर दी है. राज्य सरकार की तरफ से आदेश जारी होने के बाद नए मानकों के अनुसार अब प्रदेश में कई वन क्षेत्र वन परिधि से बाहर हो जाएंगे. शासनादेश के अनुसार 10 हेक्टेयर या उससे अधिक का सघन क्षेत्र और गोलाकार डेंसियोमीटर से मापने पर जिसका वितान घनत्व 60 प्रतिशत से अधिक होगा, उसे ही वन माना जाएगा.
नए नियमों की जानकारी देते वन मंत्री हरक सिंह रावत. प्रदेश में कई वन क्षेत्रों को वन परिधि से बाहर लाने के लिए नए मानक तय किये गए हैं. शासनादेश के अनुसार 10 हेक्टेयर या उससे अधिक का सघन क्षेत्र और गोलाकार डेंसियोमीटर से मापने पर जिसका वितान घनत्व 60 प्रतिशत से अधिक होगा, उसे ही वन माना जाएगा.
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नए आदेश के अनुसार 10 हेक्टेयर या उससे अधिक के सघन क्षेत्र के साथ 75 प्रतिशत से अधिक देशी वृक्ष प्रजातियां हो तथा गोलाकार डेंसीयोमीटर से मापने पर जिसका वितान घनत्व 60% से अधिक होने पर हीं वन की श्रेणी में रखा जाएगा.
किसी भी आकार और प्रजातियों के बाग को वन की परिभाषा से बाहर रखा जाएगा. साथ ही फलों के बागान को वन नहीं माना जाएगा और 10 हेक्टेयर से कम के जंगल वन की परिधि से बाहर हो जाएंगे. बता दें कि पहाड़ी क्षेत्रों में 10 हेक्टेयर से ज्यादा के बेहद कम वन है, ऐसे में प्रदेश के कई क्षेत्रों में वृक्षों के कटान को लेकर मंजूरी मिलना बेहद आसान हो जाएगा.
वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि विकास कार्यों के लिए कई बार ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं. ऐसे में तमाम योजनाओं के लिए भूमि की आवश्यकता होती है. उन्होंने बताया कि यह फैसला पिछली कैबिनेट में लिया गया था. जिसके बाद अब शासनादेश जारी किया गया.