देहरादून: कोरोना काल में फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. इन किसानों को नुकसान से उबारने के लिए उत्तराखंड मंडी समितियों में फूलों के लिए अलग से मंडी की स्थापना की जाएगी. जिससे किसानों को अपनी पैदावार का उचित दाम मिल सकेगा.
राज्य में फूलों की बड़ी मात्रा में पैदावार होती है, लेकिन प्रदेश में किसी भी मंडी में फूलों को बेचने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. मजबूरन यहां के किसानों को फूलों को बेचने के लिए दिल्ली की आजादपूर मंडी जाना पड़ता है. जिसकी वजह से अतिरिक्त माल भाड़ा लगने से किसानों को फूलों का उचित दाम नहीं मिल पाता है. जिसकी वजह से फूलों की खेती करने वाले काश्तकारों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.
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इसके साथ ही रिटेल बाजार में यही फूल वापस राज्य में बिकने के लिए आता है और बहुत महंगा हो जाता है. इसके लिए राज्य सरकार मंडियों के अंदर फूलों को खरीदने और बेचने के लिए प्लेटफार्म तैयार करने जा रही है. जिससे किसानों को काफी फायदा होगा. मंडी समिति के अध्यक्ष राजेश शर्मा का कहना है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का प्रयास कर रही है, जिसके लिए अब मंडियों में फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी अपनी पैदावार का उचित दाम मिलेगा.
दरअसल, मंडी समिति का प्रयास है कि मंडी समिति के अधीन जो जगहें है, उन जगहों पर फूल व्यापारियों को वह व्यवस्थाएं दी जाए. जिससे उनका व्यवसाय बढ़ सके. वर्तमान में पूरे उत्तराखंड में फूलों का कोई स्टॉपेज या कलेक्शन सेंटर नहीं है.जिस कारण प्रदेश के भीतर फूलों की खेती वाली करने वाले किसानों और व्यापारियों को दिल्ली मंडी का रुख करना पड़ता है. इस व्यवस्था के बाद उत्तराखंड में फूलों की खेती करने वाले किसानों और व्यापारियों को खासा लाभ मिलने की उम्मीद है.