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CM आवास कूच करने पर दर्ज FIR से आक्रोशित हुईं कांग्रेसी महिलाएं, सरकार पर लगाया उत्पीड़न का आरोप - उत्पीड़न का आरोप

उत्तराखंड महिला कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर महिलाओं का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. महिला कांग्रेस ने उन पर दर्ज मुकदमों को सरकार की मनमानी करार दिया है. उन्होंने कहा कि वह इन मुकदमों से डरने वाली नहीं हैं.

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Published : Sep 1, 2022, 11:05 AM IST

Updated : Sep 1, 2022, 11:38 AM IST

देहरादूनः राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर रोक के विरोध में महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं (Uttarakhand Mahila Congress) ने 29 अगस्त को सीएम आवास कूच किया था. इस मामले पर पुलिस ने 6 कांग्रेसी महिला नामजद कार्यकर्ताओं समेत 20 कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं. वहीं, अब कांग्रेसी महिलाएं सरकार के खिलाफ आक्रामक हो गई हैं. महिलाओं ने मुकदमे दर्ज किए जाने का विरोध किया है.

महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला का कहना है कि सभी कांग्रेसी महिलाएं, महिला आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री आवास गई थीं. क्योंकि उत्तराखंड की महिलाओं के लिए 30% आरक्षण पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है. क्योंकि प्रदेश सरकार ने इस मामले में मजबूत पैरवी नहीं रखी. ऐसे में सरकार को जगाने के लिए महिलाएं मुख्यमंत्री आवास पहुंची थीं. लेकिन महिलाओं पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया.

CM आवास कूच करने पर दर्ज FIR से आक्रोशित हुईं कांग्रेसी महिलाएं.

ज्योति रौतेला ने कहा कि कांग्रेस की महिलाएं सरकार और प्रशासन को कहना चाहती हैं कि हमारी गिरफ्तारी की जाए. क्योंकि हम दर्ज मुकदमे से घबराती नहीं हैं. यह लड़ाई महिला कांग्रेस आगे तक ले जाएगी. ज्योति रौतेला का कहना है कि प्रदेश सरकार महिलाओं की आवाज को दबा नहीं सकती है. प्रदेश कांग्रेस महिलाओं के हकों को उठाने के लिए हमेशा खड़ी है और गिरफ्तारी से भी घबराने वाली नहीं है.
ये भी पढ़ेंः UKPSC में क्षैतिज आरक्षण को लेकर CM आवास के बाहर कांग्रेस का प्रदर्शन, सोता रहा LIU

क्षैतिज आरक्षण पर रोकःउत्तराखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा (UKPSC Exams) में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण (30 percent reservation for women) दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) में 24 अगस्त को सुनवाई हुई. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने सरकार के 30 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने वाले शासनादेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है.

मामले के मुताबिक, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जिसकी वजह से वे आयोग की परीक्षा से बाहर हो गई हैं. उन्होंने सरकार के 2001 एवं 2006 के आरक्षण दिए जाने वाले शासनादेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया कि यह आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 16,19 और 21 विपरीत है.

कोई भी राज्य सरकार जन्म एवं स्थायी निवास के आधार पर आरक्षण नहीं दे सकती. याचिका में इस आरक्षण को निरस्त करने की मांग की गई थी. उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से डिप्टी कलेक्टर समेत अन्य पदों के लिए हुई उत्तराखंड सम्मिलित सिविल अधीनस्थ सेवा परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को अनारक्षित श्रेणी में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है.

Last Updated : Sep 1, 2022, 11:38 AM IST

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