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उत्तराखंड में फिर निकला CBI जिन्न, इन दिग्गजों का भी हुआ एजेंसी से सामना

उत्तराखंड के नेताओं का सीबीआई से पुराना रिश्ता रहा है. हरक सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बाद अब सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सीबीआई करेगी.

Uttarakhand leaders CBI investigation
उत्तराखंड में फिर निकला CBI जिन्न

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Published : Oct 28, 2020, 6:29 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के राजनेताओं का सीबीआई से पुराना रिश्ता रहा है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर पैसों की लेन-देन के आरोप के मामले में हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज कर सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. वैसे उत्तराखंड में किसी राजनेता की सीबीआई जांच का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी हरीश रावत और हरक सिंह रावत के खिलाफ विभिन्न मामलों में जांच के आदेश हुए हैं.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले के खिलाफ उत्तराखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर की है. इससे पहले भी हरीश रावत और हरक सिंह रावत जैसे नेताओं को भी सीबीआई जांच से गुजरना पड़ा था. हालांकि जांच में कुछ खास नतीजे निकल कर सामने नहीं आए.

हरक सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच

राज्य स्थापना के बाद पहली निर्वाचित सरकार में मंत्री के खिलाफ पहली बार सीबीआई जांच के आदेश हुए थे. साल 2002 में कांग्रेस ने सत्ता में आकर वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री की गद्दी सौंपी. इसी सरकार में दिग्गज नेता हरक सिंह रावत मंत्री बनाए गए थे. साल 2003 में एक महिला में हरक सिंह रावत पर यौन शोषण के आरोप लगाते हुए, अपनी बच्चे के पिता होने का दावा किया था.

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उस दौरान मामला उत्तराखंड की सियासत में खूब उछला और हरक सिंह रावत को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश हुए. हरक सिंह रावत पर आरोप था कि उन्होंने नौकरी देने के नाम पर महिला से शारीरिक संबंध बनाए थे. लेकिन सीबीआई जांच में हरक सिंह रावत का डीएनए टेस्ट के मैच नहीं होने पर उन्हें क्लीन चिट दे दी गई.

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर भी सीबीआई का फंदा

उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी सीबीआई जांच के दायरे में रहे. उनके खिलाफ मामला विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर रहा. दरअसल, हरीश रावत को कांग्रेस ने विजय बहुगुणा के बदले मुख्यमंत्री बनाया और इसके साथ ही कांग्रेस के भीतर तोड़फोड़ की राजनीति शुरू हो गई थी. साल 2016 में हरीश रावत के खिलाफ विधायकों का एक खेमा प्रत्यक्ष रूप से खड़ा हो गया.

दरअसल विजय बहुगुणा की अगुवाई में कांग्रेस के कई विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था. इसके बाद अप्रैल 2016 में एक स्टिंग सामने आया, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत कैमरे पर विधायकों की खरीद-फरोख्त की बातें करते नजर आए. इस मामले पर हाईकोर्ट मामला पहुंचा और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की. इसके बाद राज्यपाल की मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने अप्रैल 2016 में सीबीआई जांच की संस्तुति की. फिलहाल मामले की जांच कर रही है.

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त्रिवेंद्र सिंह रावत की भी सीबीआई जांच

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर पैसों की लेनदेन के लगे आरोपों के बाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने जिस तरह सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं, उसके बाद सरकार को तगड़ा झटका लगा है. फिलहाल माना जा रहा है कि इस मामले में सरकार खुद के बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया हुए एसएलपी लगाया है.

दरअसल, 27 अक्टूबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट से सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपी है. हाईकोर्ट ने सीबीआई को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ केस दर्ज कर करप्शन के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है.

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