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तमाम दावों के बावजूद कोरोना सैंपलिंग में उत्तराखंड 'फिसड्डी'

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Published : Nov 24, 2020, 7:37 AM IST

उत्तराखंड में कोरोना का ग्राफ बढ़ते ही जा रहा है. संक्रमण को दूर करने के लिए कोरोना टेस्टिंग की ज्यादा व्यवस्थाएं बेहद जरूरी मानी जा रही हैं. बावजूद इसके उत्तराखंड संक्रमण को रोकने के लिए जांच की संख्या बढ़ाने में फिसड्डी साबित हो रहा है.

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

देहरादून: कोरोना संक्रमण को लेकर दिल्ली में जो हालात हैं उसके बाद उत्तराखंड समेत तमाम दूसरे राज्य भी अलर्ट मोड पर दिखाई दे रहे हैं. संक्रमण को दूर करने के लिए कोरोना टेस्टिंग की ज्यादा व्यवस्थाएं बेहद जरूरी मानी जा रही हैं. बावजूद इसके उत्तराखंड संक्रमण को रोकने के लिए जांच की संख्या बढ़ाने में फिसड्डी ही साबित हो रहा है.

उत्तराखंड में संक्रमण का एक बेहद संवेदनशील दौर से गुजर चुका है और इस दौरान प्रदेशवासी बेहद मुश्किल हालातों से भी गुजरे हैं. उधर, दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में जिस तरह संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं उसके बाद उत्तराखंड में भी कोरोना का प्रकोप बेहद तेजी से फैलने की आशंका बनी हुई है. इस बीच सरकार की कोरोना टेस्टिंग की संख्या न बढ़ाए जाने को लेकर चर्चा है.

नवंबर महीने की बात करें तो, एक दिन में सर्वाधिक करीब 13000 सैंपल लिये जा रहे हैं, यानी ज्यादा से ज्यादा करीब 13000 लोगों के कोविड-19 की जांच के लिए सैंपल लिए जा रहे हैं, जबकि बाकी प्रदेशों की हालत देखकर यह समझना मुश्किल नहीं है कि उत्तराखंड में ऐसे हालातों के लिए टेस्टिंग की संख्या को बेहद ज्यादा बढ़ाया जाना जरूरी है. खास बात ये है कि इतने सैंपल लिए जाने के बावजूद भी अभी 17341 लोगों के सैंपल रिपोर्ट वेटिंग है. हैरानी की बात तो यह है कि वेटिंग सैंपल की संख्या को काबू में लाने के लिए कई दिनों तक एक दिन में मात्र करीब 3000 सैंपल ही लिए गए.

नवंबर महीने में-

22 नवंबर को मात्र 6884 सैंपल लिए गए.

16 नवंबर को 6475 सैंपल ही लिए गए.

15 नवंबर को 3620 और 14 नवंबर को 3198 सैंपल ही लिए गए.

8 नवंबर को भी मात्र 6571 सैंपल ही लिए गए.

इसके अलावा कुछ दिन ऐसे भी है जब यह संख्या 7000 और 7500 तक ही रही है.

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यह हालत तब हैं जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अधिकारियों को कोविड-19 की जांच की संख्या बढ़ाए जाने के निर्देश दे रहे हैं. फिलहाल उत्तराखंड में 10,000 तक सैंपल की जांच की सीमा मानी जाती रही है. लेकिन यदि उत्तराखंड में भी हालात बिगड़ते हैं तो प्रदेश को इस सैंपल लेने की संख्या को बढ़ाना बेहद जरूरी हो जाएगा जो अबतक होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है.

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