देहरादून: कोरोना संक्रमण को लेकर दिल्ली में जो हालात हैं उसके बाद उत्तराखंड समेत तमाम दूसरे राज्य भी अलर्ट मोड पर दिखाई दे रहे हैं. संक्रमण को दूर करने के लिए कोरोना टेस्टिंग की ज्यादा व्यवस्थाएं बेहद जरूरी मानी जा रही हैं. बावजूद इसके उत्तराखंड संक्रमण को रोकने के लिए जांच की संख्या बढ़ाने में फिसड्डी ही साबित हो रहा है.
उत्तराखंड में संक्रमण का एक बेहद संवेदनशील दौर से गुजर चुका है और इस दौरान प्रदेशवासी बेहद मुश्किल हालातों से भी गुजरे हैं. उधर, दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में जिस तरह संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं उसके बाद उत्तराखंड में भी कोरोना का प्रकोप बेहद तेजी से फैलने की आशंका बनी हुई है. इस बीच सरकार की कोरोना टेस्टिंग की संख्या न बढ़ाए जाने को लेकर चर्चा है.
नवंबर महीने की बात करें तो, एक दिन में सर्वाधिक करीब 13000 सैंपल लिये जा रहे हैं, यानी ज्यादा से ज्यादा करीब 13000 लोगों के कोविड-19 की जांच के लिए सैंपल लिए जा रहे हैं, जबकि बाकी प्रदेशों की हालत देखकर यह समझना मुश्किल नहीं है कि उत्तराखंड में ऐसे हालातों के लिए टेस्टिंग की संख्या को बेहद ज्यादा बढ़ाया जाना जरूरी है. खास बात ये है कि इतने सैंपल लिए जाने के बावजूद भी अभी 17341 लोगों के सैंपल रिपोर्ट वेटिंग है. हैरानी की बात तो यह है कि वेटिंग सैंपल की संख्या को काबू में लाने के लिए कई दिनों तक एक दिन में मात्र करीब 3000 सैंपल ही लिए गए.
नवंबर महीने में-
22 नवंबर को मात्र 6884 सैंपल लिए गए.