देहरादूनः उत्तराखंड क्रांति दल अब अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को तलाशने जा रहा है. अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा यूकेडी अब ग्राम स्तर पर राजनीतिक आंदोलन छेड़ने की तैयारियों में है. जिससे आंदोलनकारी संगठन के रूप में आगे रहा यूकेडी राजनीतिक स्तर पर अपनी मजबूत पहचान बना सके. इसके लिए उक्रांद आगामी 24 और 25 जुलाई को द्विवार्षिक अधिवेशन आयोजित करने जा रहा है. अधिवेशन के लिए 7 सदस्यों की एक टीम का गठन भी किया गया है.
गौर हो कि उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) ने ही अलग राज्य की स्थापना की मांग की थी. साल 1994 में उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने की मांग यूकेडी ने उठाई थी. उत्तराखंड के अलग राज्य की स्थापना के लिए संघर्ष करने वाला संगठन यकेडी अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इस दल ने साल 2002 में पहले विधानसभा में 4 सीट पर जीत हासिल की थी. 2007 में 3 सीट पर सिमट गई थी. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में तो यूकेडी को महज एक सीट ही मिल पाई थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में यूकेडी को कोई सीट नहीं मिली. अब यूकेडी वर्तमान समय में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है.
इस बार हुए लोकसभा चुनावों में सभी सीटों से यूकेडी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. अब यूकेडी अपने राजनीतिक स्वरूप को बचाने के लिए ग्राम स्तर पर कूच करने की तैयारी में है. उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यवाहक अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने बताया कि यूकेडी की अभी तक केवल आंदोलनकारी संगठन के रूप में ही पहचान थी. जिसकी वजह से राजनीतिक स्तर पर यूकेडी काफी पीछे छूट गई है. अब यूकेडी को उत्तराखंड राज्य को बचाने के लिए राजनीतिक आंदोलन की जरूरत है. क्षेत्रीय संगठन के रूप में यूकेडी ने सड़कों पर उतरकर राज्य का सबसे बड़ा आंदोलन लड़ा था, लेकिन ये पार्टी के लिए सबसे बड़ा अभिशाप साबित हुआ.