देहरादून:पिछले 20 सालों में उत्तराखंड कर्ज के तले इतना दब गया है कि अब राज्य सरकार खुद कर्ज लेने में भी सक्षम नहीं रही है. हालात ये हैं कि राज्य को अपनी कुल जीडीपी के 2.1% रकम केवल लोन के ब्याज पर ही खर्च करनी पड़ रही है. आज भारत सरकार की जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्य सरकार ने प्रदेश के वित्तीय हालातों के आंकड़े रखें. जिसमें जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश को हो रहे नुकसान की जानकारी दी गई.
राज्य स्थापना के दौरान उत्तर प्रदेश से करीब ₹4,430 करोड़ का कर्ज उत्तराखंड को मिला था. अब यह कर्ज बढ़कर 71 हजार 500 करोड़ हो गया है. भारत सरकार की जीएसटी काउंसिल बैठक के दौरान आज कर्ज का यह ताजा डाटा राज्य सरकार की तरफ से काउंसिल को दिया गया. वहीं, 2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश की जनसंख्या की 1.01 करोड़ के करीब है, ऐसे में 71,500 करोड़ को अगर प्रतिव्यक्ति में बांटा जाए तो हर व्यक्ति के ऊपर करीब 6.5 लाख रुपए का कर्ज है.
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चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश को इतने बड़े कर्ज के एवज में करीब 5800 करोड़ रुपए ब्याज के ही चुकाने पड़ रहे हैं. यानी उत्तराखंड की कुल जीडीपी का 2.1% राज्य कर्जे के ब्याज को चुकाने पर खर्च कर रहा है. कर्जे से राज्य की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अब राज्य सरकार ने लगातार हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए और कर्जा वहन न कर पाने की बात कह दी है.