देहरादून: उत्तराखंड में मंकी पॉक्स (Monkeypox) को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. स्वास्थ्य निदेशालय ने राज्य के उच्च स्वास्थ्य अधिकारियों और जिलाधिकारियों को मंकी पॉक्स के बारे में अलर्ट जारी किया है. एडवाइजरी में कहा गया है कि बुखार और शरीर पर चकत्ते वाले मरीजों की सूचना तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय को दी जानी चाहिए. मंकीपॉक्स वायरस से बीमारी के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) लगातार इससे बचाव के लिए दुनियाभर के देशों को चेता रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार (30 मई) की सुबह तक मंकीपॉक्स के दुनिया के 23 देशों के 257 लोगों को बीमार कर चुका है. चिंता की बात यह है कि इस बीमारी के लक्षण स्मॉलपॉक्स से मिलते जुलते हैं. इसके अलावा इसमें बुखार, सिरदर्द होना आम है. इसलिए कई बार लोगों को देरी से इसकी भनक लग पाती है. इसलिए दुनियाभर के चिकित्सक इसे लेकर लोगों को आगाह कर रहे हैं.
मंकीपॉक्स के लक्षण और बचाव
- मंकी पॉक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है.
- शरीर में चकत्ते पड़ जाते हैं और शरीर में छाले निकल आते हैं. ये लक्षण दो से चार हफ्ते रहते हैं.
- यह संक्रमित जानवर के काटने से या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ या फिर उसको छूने से हो सकता है.
- संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी मंकी पॉक्स हो सकता है.
कहां से आया मंकीपॉक्स वायरस:बता दें कि मंकीपॉक्स वायरस का इसके नाम के मुताबिक बंदरों से कोई सीधे लेना-देना नहीं है. इंसानों में इस वायरस का पहला मामला मध्य अफ्रीकी देश कांगो (Democratic Republic of the Congo) में 1970 में मिला था. 2003 में अमेरिका (United States) में इसके मामले सामने आए थे. इसके पीछे तब घाना (Ghana) से आयात किए गए चूहे कारण बताए गए थे, जो पालतू जानवरों की एक दुकान से बेचे गए थे. 2022 में इसका पहला मामला मई के महीने में यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में सामने आया. इसके बाद से यह वायरस यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पैर पसार चुका है. भारत में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई केस सामने नहीं आया है.