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स्वास्थ्य विभाग निजी कंपनी को सौंपेगी एंटीजन टेस्ट की जिम्मेदारी, जानिए वजह

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Published : Sep 30, 2020, 7:57 PM IST

Updated : Sep 30, 2020, 10:00 PM IST

सूत्रों के मुताबिक, उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग प्रदेश में एंटीजन टेस्ट कराने की जिम्मेदारी निजी कंपनी को सौंपने जा रही है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग प्रति जांच 1200 रुपए का भुगतान करेगा.

Corona Virus in Uttarakhand
उत्तराखंड में कोरोना वायरस

देहरादून: उत्तराखंड सरकार रैपिड एंटीजन टेस्ट की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को देने जा रही है. दरअसल, प्रदेश में फिलहाल स्वास्थ्य विभाग एंटीजन किट को करीब 410 रुपए में खरीद कर लोगों का टेस्ट कर रहा है. लेकिन, खबर सामने आ रही है कि स्वास्थ्य विभाग ने एक टेंडर किया है. जिसमें आईसीएमआर द्वारा चयनित दो कंपनियों को उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए चयनित किया है.

सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि इस टेंडर में कंपनी को 1200 रुपए प्रति जांच का भुगतान किया जाएगा. इसमें एंटीजन किट के साथ निजी कंपनी सर्विस भी प्रोवाइड कराएगी. अभी तक स्वास्थ्य विभाग दूसरे कंपनियों से 410 रुपए में एंटीजन किट खरीद जांच कराती थी.

स्वास्थ्य विभाग क्यों देगा 1200 रुपए
दरअसल, सरकार जनता की फ्री कोरोना टेस्ट के लिए इन दो कंपनियों की सेवाएं लेंगी. इसके तहत दोनों कंपनियां जांच किट, स्वास्थ्यकर्मी और जरूरी टेक्निकल सर्पोट देंगे. जिसके एवज में प्रति जांच सरकार 1200 रुपए उस कंपनी को अदा करेगी. ऐसे में सरकार और स्वास्थ्य विभाग को जांच को लेकर कुछ ज्यादा परेशानियां नहीं होगी. आसान शब्दों में ये दोनों कंपनियां जांच से लेकर रिपोर्ट तक सीधे देगी.

हालांकि इस फैसले पर स्वास्थ्य विभाग शासन से मंजूरी मिलने के बाद कोई कदम उठाएगा. लेकिन सवाल यह है कि जब टेंडर हो चुका है तो शासन की मंजूरी महज औपचारिकता भर रह गई है. सवाल यह भी उठ रहे हैं कि जब जबकि स्वास्थ्य विभाग महज 410 रुपए में इस एंटीजन टेस्ट को कर सकता है तो उसके लिए 1200 रुपए किसी दूसरी कंपनी को क्यों दिया जा रहा है. जबकि, हाल ही में विभाग ने लैब टेक्नीशियन को 6 महीने से ज्यादा समय के लिए संविदा पर रखा है.

जानकारी देतीं स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती.
  1. सवाल- स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के अधीन है तो सीधा सवाल उनपर ही उठेगा कि ऐसा फैसला आखिर को क्यों लेना पड़ा? जब पहले से ही वित्तीय बोझ था तो ऐसे में तो उनको ट्रिपल पेमेंट करना पड़ेगा.
    जवाब: बिल्कुल इस मामले में मुख्यमंत्री पर ही सीधे सवाल उठेंगे. लेकिन स्वास्थ्य महानिदेशक ने अपने बयान से यह साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री तक को निजी कंपनी को एंटीजन टेस्ट की जिम्मेदारी देने की जानकारी ही नहीं दी गई है. स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती ने कहा कि इसके लिए टेंडर कर दिए गए हैं. लेकिन अभी विभाग इसके लिए शासन से मंजूरी लेगा. मंजूरी लेने के दौरान ही टेंडर की जानकारी दी जाएगी. राज्य में कोविड रैपिड एंटीजन किट 410 रुपये में क्रय की गई हैं. लेकिन कंपनियों का भुगतान न होने के चलते उनके द्वारा किट उपलब्ध कराने में असमर्थता व्यक्त की गई, तो विभाग के अधिकारियों ने एंटीजन टेस्ट के नाम पर संपूर्ण जांच ही एक कंपनी को दे दी.
  2. सवाल- इस नुकसान की भरपाई का क्या सोचा गया है?
    जवाब:इसे विभाग नुकसान के रूप में नहीं देख रहा. विभाग का कहना है कि सर्विस के बदले इतना भुगतान हो रहा है. यह वैसा ही है जैसे अस्पतालों को निजी हाथों में दे दिया जाता है. ताकि वहां पर स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर बढ़ सकें.
  3. सवाल- क्या मरीज को भी कुछ भरपाई करनी होगी?
    जवाब: मरीजों के लिए स्थितियां वैसी ही रहेगी, जैसे अब तक सरकारी अस्पतालों में चली आ रही हैं. यानी भुगतान सरकार द्वारा ही निजी कंपनी को किया जाएगा. मरीजों को कुछ नहीं देना होगा.
  4. सवाल- मरीज के पॉजिटिव निकलने के बाद का पूरा प्रोसेस कैसे विभाग हैंडल करेगा?
    जवाब:मरीज के पॉजिटिव आने के बाद निजी कंपनी द्वारा कंप्यूटर में एक स्पेशल सॉफ्टवेयर पर जानकारी भरने के बाद मरीज का पूरा रिकॉर्ड स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंच जाएगा और इसके बाद की आगे की कार्रवाई खुद स्वास्थ्य विभाग ही करेगा.

वहीं, उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के इस फैसले पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है. कांग्रेस नेता गरिमा दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है.

कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना.

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उत्तराखंड सरकार पर ऋण

कोरोना की आपदा के साथ नए वित्तीय वर्ष 2020-2021 का आगाज राज्य की मुश्किलें बढ़ाए हुए है. कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए चिकित्सा और स्वास्थ्य के मोर्चे पर जूझने की चुनौती है. लिहाजा नए वित्तीय वर्ष के पहले ही हफ्ते में सरकार द्वारा बाजार से 1000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है.

राज्य पर 55 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज

राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड आर्थिक मोर्चें पर परेशानियां झेलता रहा है. हालत यह है कि राज्य पर 55 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है. राज्य के बजट का 10 फीसदी हिस्सा कर्ज चुकाने पर ही खर्च हो रहा है. राज्य में पहले ही राजस्व के सीमित संसाधन थे. राज्य के बजट का कुल 35 प्रतिशत भाग कर्मचारियों, पेंशनर्स के वेतन, पेंशन पर खर्च होता है. ऐसे में राज्य के विकास के लिए बजट की लगातार कमी बनी रहती है. इससे पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य में छह हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया था. ऐसे में बाजार से तीन गुना महंगे दाम पर एंटीजन किट खरीदना तर्कसंगत नहीं लगता.

Last Updated : Sep 30, 2020, 10:00 PM IST

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