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ऊर्जा प्रदेश पर मंडराया विद्युत संकट, करोड़ों की बिजली खरीद दे रही आर्थिक 'झटका' - electricity crisis

उत्तराखंड में मौजूदा समय में बिजली खरीदने के बावजूद भी करीब एक से 2 मिलियन यूनिट की कमी हर दिन हो रही है. इसके कारण ऊर्जा विभाग बिजली कटौती कर रहा है. फिलहाल उद्योगों में बिजली की कटौती नहीं की जा रही है. इस कटौती को ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है. देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर जैसे जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती की जा रही है.

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प्रदेश पर मंडराता ऊर्जा संकट

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Published : Oct 14, 2021, 7:35 PM IST

Updated : Oct 14, 2021, 9:46 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड को उसकी ऊर्जा उत्पादन क्षमता में बेहद मजबूत माना जाता रहा है. शायद इसीलिए राज्य स्थापना से ही प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश के रूप में पहचाना गया. लेकिन इसे प्रदेश की बदकिस्मती ही कहेंगे कि मामूली ऊर्जा संकट के दौरान ही ऊर्जा प्रदेश में हड़कंप मच गया है. हालत यह है कि राज्य को करोड़ों की बिजली बाहर से खरीदनी पड़ रही है. मजबूरी में कई क्षेत्रों की बिजली कटौती का फैसला भी लेना पड़ रहा है.

क्षमता के मुताबिक इस्तेमाल नहीं:उत्तराखंड में विभिन्न नदियों की मौजूदगी के चलते राज्य को ऊर्जा प्रदेश बनाए जाने का सपना प्रदेशवासियों ने राज्य स्थापना के समय ही देख लिया था. एक आकलन के अनुसार प्रदेश में मौजूद जल स्रोत के लिहाज से उत्तराखंड इतना बिजली उत्पादन कर सकता है कि वह हर साल करीब 2 खरब की आय ऊर्जा क्षेत्र से ही कर सके. बस यही आकलन राज्य को ऊर्जा प्रदेश के सपने की तरफ ले गया. लेकिन एनजीटी की रोक और पर्यावरणविदों की आपत्तियों ने प्रदेश को कभी अपनी क्षमता के लिहाज से बिजली उत्पादन की परियोजनाओं तक पहुंचने ही नहीं दिया.

प्रदेश पर मंडराता ऊर्जा संकट

17 जलविद्युत परियोजनाएं संचालित:पर्यावरणीय आपत्तियों के बावजूद राज्य में अब भी करीब 17 जलविद्युत परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं. इन परियोजनाओं से करीब 24 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाता है. लेकिन राज्य को जरूरत करीब 41 मिलियन यूनिट प्रतिदिन की है. यानी 17 मिलियन यूनिट बिजली कि राज्य को उत्पादन से ज्यादा जरूरत होती है. इस जरूरत को कुछ हद तक केंद्रीय पूल से पूरा किया जाता है. राज्य को केंद्रीय पूल से करीब 12 मिलियन यूनिट बिजली मिल पाती है. 4 से 5 मिलियन यूनिट बिजली बाहर बाजार से राज्य खरीदता है.

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हर साल 600 करोड़ की बिजली खरीद:एक अनुमान के अनुसार प्रदेश हर साल करीब 6000 करोड़ की बिजली बाहर से खरीदता है. हर साल 1242 मेगावाट बिजली राज्य उत्पादन कर पाता है. ऐसा नहीं है कि प्रदेश में ऊर्जा की इस कदर कमी पहले से ही बनी हुई हो. कई कारण हैं जिसके कारण प्रदेश ऊर्जा संकट की तरफ तेजी से बढ़ रहा है.

प्रदेश में ऊर्जा संकट के कारण

ऊर्जा प्रदेश पर मंडराया विद्युत संकट

ऐसा नहीं कि देश भर में कोयले की कमी के कारण बिजली को लेकर गहराया संकट ही राज्य में बड़ी परेशानी बना हो. उत्तराखंड में ऊर्जा निगम सामान्य दिनों में भी बिजली की खरीद करता रहा है. इसकी वजह आपूर्ति का ज्यादा होना और उत्पादन का कम रहना है. लेकिन मौजूदा समय में जो बिजली करीब ₹5.20 पैसे प्रति यूनिट मिल जाती थी उसे अब ₹8 तक में खरीदना पड़ रहा है.

60 हजार यूनिट छोटे उद्योग स्थापित:बता दें कि उत्तराखंड में मध्यम एवं लघु सूक्ष्म उद्योग के रूप में करीब 60 हजार यूनिट स्थापित हैं. उधर करीब 230 उद्योग ऐसे हैं जो बड़े उद्योगों में माने जाते हैं. बिजली कटौती के दौरान छोटे और सूक्ष्म उद्योगों को लंबे समय तक सरवाइव करना मुश्किल होगा. उद्योगों में उत्पादन कुछ समय तक बंद करने की भी नौबत आ सकती है. हालांकि मध्यम और बड़े उद्योगों के लिए यह स्थिति नहीं होगी, बल्कि इसमें बिजली की अतिरिक्त व्यवस्था के कारण उत्पादन कॉस्ट में बढ़ोत्तरी होगी.

छोटे उद्योगों को ज्यादा नुकसान:आंकड़ों पर गौर करें तो उद्योगों को चलाने के लिए उद्योगपति डीजल आधारित जनरेटर को यूज करते हैं. इसमें ₹25 प्रति यूनिट का खर्च आता है जबकि बिजली का खर्चा ₹8 प्रति यूनिट होता है. इस तरह उद्योगों में प्रोडक्शन कॉस्ट काफी बढ़ जाती है. पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के रीजनल डायरेक्टर अनिल तनेजा कहते हैं कि वैसे तो सरकार ने बिजली को लेकर कुछ दिनों की ही परेशानी बताई है, लेकिन यदि बिजली कटौती ज्यादा होती है तो इससे छोटे उद्योगों को नुकसान होगा. बड़े उद्योगों में प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ जाएगी. अनिल तनेजा कहते हैं कि इसके लिए सरकार को बिजली की पर्याप्त व्यवस्था पहले से ही कर लेनी चाहिए.

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रोजाना एक से 2 मिलियन यूनिट की कमी:उत्तराखंड में मौजूदा समय में बिजली खरीदने के बावजूद भी करीब एक से 2 मिलियन यूनिट की कमी हर दिन हो रही है. इसके कारण ऊर्जा विभाग बिजली कटौती कर रहा है. फिलहाल उद्योगों में बिजली की कटौती नहीं की जा रही है, लेकिन इस कटौती को ग्रामीण क्षेत्रों में कर बिजली की कमी की पूर्ति की जा रही है. यूपीसीएल के एमडी दीपक रावत ईटीवी भारत से बात करते हुए कहते हैं कि रात के समय बिजली को लेकर सबसे ज्यादा दबाव रहता है. फिलहाल जो कमी बिजली की बनी हुई है, उसके लिए कोशिशें की जा रही हैं कि कम से कम बिजली कटौती करते हुए इस कमी से राहत पाई जाए.

प्रदेश पर मंडराता ऊर्जा संकट

फार्मास्यूटिकल और स्टील कंपनियों को बड़ा नुकसान:जहां तक उद्योगों का सवाल है तो बिजली कटौती के दौरान फूड प्रोसेसिंग और फार्मास्यूटिकल कंपनियों के साथ ही स्टील कंपनी को भी इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. फिलहाल उद्योगों में कटौती ना होने के कारण नुकसान की स्थिति नहीं बनी है. बावजूद इसके बिजली की कमी और कटौती की संभावनाओं को देखते हुए स्टील के दामों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. फिलहाल सबसे ज्यादा कटौती मैदानी क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में हो रही है. मसलन देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर जैसे जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती की जा रही है.

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उत्तराखंड में फिलहाल बिजली ₹8 प्रति यूनिट में खरीदी जा रही है. गुरुवार को कुल 1.7 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी गई. ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत कहते हैं कि लोगों को संयम से काम लेना चाहिए. फिलहाल प्रदेश में ऊर्जा की कोई भी कमी नहीं है. सभी स्थितियों पर राज्य सरकार नजर बनाए हुए है. ऐसे में लोगों को मुसीबत या परेशानियों का सामना ना करना पड़े, इसके लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं.

Last Updated : Oct 14, 2021, 9:46 PM IST

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