देहरादून:साल 2000 में उत्तरप्रदेश से पृथक होकर एक पहाड़ी राज्य, उत्तराखंड बने 20 साल का समय हो गया है. यूं तो उत्तराखंड राज्य अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. बावजूद इसके देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुआ है. यही नहीं, उत्तराखंड राज्य का देश के कई मायनों में एक अहम योगदान है. चाहे वह पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ जल, शुद्ध हवा प्रदान करना हो या फिर प्रदेश में मौजूद केंद्रीय संस्थान हों. आखिर क्या है उत्तराखंड राज्य का देश में योगदान और देश को क्यों है उत्तराखंड की जरूरत ?
उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश से अलग होकर एक अलग पहाड़ी राज्य बनने से पहले और राज्य गठन के बाद भी देश में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है, जिसकी वजह यह है कि प्रकृति ने न सिर्फ राज्य को पहाड़ी क्षेत्र दिए हैं, बल्कि कई अनमोल तोहफों से भी नवाजा है. जी हां, यूं तो उत्तराखंड राज्य देवभूमि के नाम से विश्व विख्यात है, क्योंकि प्रदेश के हर जिले में देवी देवताओं से जुड़े कई प्राचीन मंदिर के साथ ही तमाम कथाएं भी विद्यमान हैं. इसके साथ ही प्रदेश में पर्यटक स्थलों काफी भरमार है. जहां, हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी घूमने आते हैं. यही नहीं, पर्यटक स्थलों के साथ ही राज्य पर्यावरण, जल, ऊर्जा, सुरक्षा समेत तमाम केंद्रीय संस्थानों के माध्यम से अपना बड़ा योगदान दे रहा है.
पर्यावरण संतुलित करने में अहम भूमिका
उत्तराखंड राज्य उन हिमालयी राज्यों में शुमार है, जो ताजी हवा देता है, क्योंकि राज्य में करीब 70 फीसदी वन क्षेत्र है, जो देश ही नहीं बल्कि पड़ोसी देशों के पर्यावरण को स्वच्छ रखने और जैव विविधता को बरकरार रखने में अपनी अहम भूमिका निभा रही है.
देश के 40 फीसदी हिस्सों को देता है साफ पानी
उत्तराखंड राज्य में कई बड़ी नदियों का उद्गम स्थल है. जिसमें गंगा, यमुना, मंदाकिनी, अलकनंदा आदि शामिल हैं, जो न सिर्फ उत्तराखंड राज्य में पानी की जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि देश के करीब 40 फीसदी हिस्सों में उत्तराखंड की इन्हीं नदियों से स्वच्छ पानी प्राप्त करती है.
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विश्व प्रशिद्ध चारधाम यात्रा और अन्य बड़े धार्मिक स्थल
उत्तराखंड राज्य में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे महत्वपूर्ण धाम हैं. जहां हर साल देश-विदेश से लाखों की संख्या में सैलानी यात्रा पर आते हैं. इसके साथ ही पिरान कलियर और हेमकुंड साहिब भी यही उत्तराखंड में मौजूद हैं. यही नहीं, देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में हरिद्वार समेत हजारों, धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनकी मान्यताएं वैदिक काल से जुड़ी हुई हैं. इसके साथ ही वेदव्यास ने उत्तराखंड में ही चारों वेदों की रचना की थी.