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हर्षिल के सेब को मिलेगी पहचान, 'माननीयों' ने की पहल - Distribute apples to MLAs during Uttarakhand Assembly session

उत्तराखंड की जलवायु सेब की बागवानों के लिए अनुकूल है.इसके बावजूद उत्तराखंडी सेब को पहचान नहीं मिल पा रही है. वहीं, अब सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं.

Dehradun News
सेब की पैदावार को बढ़ावा देने की पहल

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Published : Aug 28, 2021, 11:07 AM IST

देहरादून: प्राकृतिक संपदाओं से लबरेज उत्तराखंड में हर्षिल के सेब प्रदेश के कोने-कोने में पहुंचने जा रहे हैं. उत्तराखंड विधानसभा भवन में बीते दिन विधायकों को खूब सेब बांटे गए, जिसका मकसद प्रदेश की सभी विधानसभाओं तक विधायकों के जरिए हर्षिल के सेब पहुंचाना है. कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के इस प्रयास की विधायकों ने भी जमकर सराहना की है.

उत्तराखंड विधानसभा के पांचवें दिन सदन के बाहर विधायकों के लिए सेबों की पेटियां दिखाई दी.विधायकों ने कृषि मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा की गई सेबों की व्यवस्था पर खुशी जाहिर की और इससे उत्तराखंड के सेबों की राज्यभर में ब्रांडिंग होने की बात कही. विधायकों की मानें तो सेबों को वे अपने क्षेत्रों में ले जाएंगे जहां पर वे लोगों को उत्तराखंड के हर्षिल के सेबों की खूबियां बताएंगे. इससे प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों तक भी विधायकों के जरिए हर्षिल के सेब का प्रचार होगा.

सेब की पैदावार को बढ़ावा देने की पहल.

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उत्तराखंड में सेबों को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग प्रयास करता रहा है. इस दिशा में कृषि विभाग की तरफ से उत्तराखंड के सेबों की ब्रांडिंग की जा रही है. कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड के हर्षिल का सेब कश्मीर के सेब को टक्कर देता है, ऐसे में उत्तराखंड भी इन सेबों की ब्रांडिंग में जुटा है. कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में 60 से ज्यादा परसेंट से मोरी में होता है, जबकि इसी तरह की जलवायु चंपावत और पिथौरागढ़ में भी है. लिहाजा, विभाग भी लोगों को सेब उत्पादन को लेकर जागरूक करने का प्रयास कर रहा है.

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