देहरादून: पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक तीर्थाटन को लेकर लोगों का बहुत क्रेज देखने को मिला है. केवल सीजन में ही नहीं बल्कि ऑफ सीजन में भी अब पर्यटक और श्रद्धालु उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं. खासतौर से चारधाम यात्रा में कपाट बंद होने के बाद प्रदेश में मौजूद उन मंदिरों में जो कि शीतकालीन मौसम में भी खुले रहते हैं, वहां पर शीतकालीन यात्रा की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. यही वजह है कि शीतकाल में उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इन मंदिरों में के दर्शन को लेकर प्लान तैयार किया जा रहा है.
शीतकाल में बाबा केदार की डोली के दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालु: बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि उत्तराखंड में शीतकालीन यात्रा की अपार संभावनाएं हैं. जिस पर प्रदेश सरकार लगातार प्रयत्नशील है. उन्होंने बताया कि शीतकाल के दौरान बाबा केदारनाथ के गद्दी स्थल या फिर जहां पर भगवान केदारनाथ की डोली रखी जाती है और पूजा होती है वह उखीमठ में मौजूद ओंकारेश्वर मंदिर है. केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उखीमठ में स्थित इस ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की डोली के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. लेकिन केदारनाथ धाम जैसा भव्य मंदिर परिसर ना होने के चलते उखीमठ मंदिर में वह भव्यता नहीं है. इसे देखते हुए उखीमठ में मौजूद ओंकारेश्वर मंदिर के विकास का प्लान तैयार किया जा रहा है.
उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर सहित कई मंदिरों को बनाया जाएगा भव्य: बदरी केदार मंदिर समिति का कहना है कि उखीमठ में मौजूद पौराणिक ओंकारेश्वर मंदिर और कोठा भवन मंदिर के जीर्णोद्धार और परिसर को विकसित करने के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है. उखीमठ में मौजूद इस पूरे मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण के लिए पहले चरण और दूसरे चरण की डीपीआर तैयार की जा चुकी हैं. अजेंद्र अजय ने बताया कि पहले चरण की डीपीआर 7 करोड़ की है. दूसरे चरण में 12 करोड़ की डीपीआर प्रस्तावित है. वहीं इसके बाद तीसरे चरण में मंदिर परिसर के बाहर पार्किंग और अन्य सुविधाओं को विकसित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस पूरी प्लानिंग को लेकर जहां एक तरफ राज्य और केंद्र सरकार धनराशि प्रदान कर रही हैं, तो वहीं मंदिर समिति दानदाताओं से भी संपर्क में है. साथ ही उन्होंने बताया कि यदि सब कुछ सामान्य रहा तो जनवरी माह में यह निर्माण कार्य शुरू करवा दिया जाएगा.