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उत्तराखंड सरकार ने मांगी केंद्र से उत्पाती बंदरों को मारने की इजाजत, विरोध शुरु

उत्तराखंड में बढ़ रहे बंदरों के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए राज्य सरकार ने बंदर मारने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. बता दें कि रिहायशी और कृषि क्षेत्र में नुकसान पहुंचाने वाले बंदरों को मारने का प्रस्ताव उत्तराखंड वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में पास हो गया है. अब गेंद केंद्र के पाले में है. उधर बजरंग दल ने इसका विरोध किया तो कांग्रेस भी उसका साथ दे रही है.

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Published : Jul 3, 2020, 10:45 AM IST

Updated : Jul 3, 2020, 5:03 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड में बढ़ रहे बंदरों के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए राज्य सरकार ने बंदर मारने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. रिहायशी और कृषि क्षेत्र में नुकसान पहुंचाने वाले बंदरों को मारने का प्रस्ताव उत्तराखंड वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में पास हो गया है. वहीं, सरकार के इस फैसले को लेकर प्रदेशभर में इसकी आलोचना की जा रही है.

अब किसान अपनी फसलों की रक्षा करने के लिए बंदरों को मार सकते हैं. रिहायशी इलाकों में फसलों को नुकसान करने वाले बंदरों को लेकर उत्तराखंड वन विभाग लंबे समय से परेशान है. इसको देखते हुए दूसरी बार वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में बंदरों को मारने का प्रस्ताव पास किया गया है. लेकिन दूसरी तरफ देवभूमि माने जाने वाले उत्तराखंड राज्य में ये फैसला लेना सरकार के लिए काफी परेशानी खड़ी कर सकता है.

बंदर मारने के प्रस्ताव पर घमासान.

उत्तराखंड में मौजूदा भाजपा सरकार और भाजपा की ही एक शाखा मानी जाने वाली बजरंग दल के आदर्श माने जाने वाले हनुमान जी से जोड़कर बंदरों को देखा जाता है. ऐसे में बजरंग दल राज्य सरकार के इस फैसले से बेहद नाराज है. देहरादून में बजरंग दल के प्रमुख विकास वर्मा ने सरकार के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार इस तरह के फैसले से जरूर अपने ऊपर कोई लांछन लेकर जाएगी. विकास वर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा प्रस्ताव को पास किया गया है लेकिन अगर इस तरह का कोई भी काम प्रदेश में होता है तो बजरंग दल बिल्कुल भी इसे बर्दाश्त करने वाला नहीं है. इस फैसले के लिए भले ही उन्हें सरकार के सामने ही क्यों न खड़ा होना पड़े.

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वहीं बजरंग दल के साथ ही प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने भी सरकार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. कांग्रेस नेता और ग्राम पंचायत संगठन के अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने सरकार के इस फैसले को देवभूमि के संस्कारों के विपरीत बताया है. उन्होंने कहा कि देवभूमि जैसे राज्य में जहां कण-कण में बजरंगबली बसते हैं वहां पर उनके आराध्य माने जाने वाले बंदर को अगर मारा जाता है तो यह अपने आप में बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा.

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इसके अलावा उत्तराखंड क्रांति दल की देहरादून महिला महानगर अध्यक्ष मीनाक्षी घिल्डियाल जो कि वन्य जीव प्रेमी भी हैं ने कहा कि हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में बंदरों को मारने की इजाजत मांगी जा रही है. लेकिन सरकार ने यह नहीं देखा कि हिमाचल में पिछले कई सालों से बंदरों की नसबंदी का काम किया जा रहा है. उसके बाद यह फैसला लिया गया है. लेकिन उत्तराखंड सरकार बताए कि उन्होंने अब तक क्या बंदरों को मारे जाने के अलावा किसी और विकल्प पर विचार किया है.

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उत्तराखंड सरकार ने बंदरों को मारे जाने को लेकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है. लेकिन संगठन की बात करें तो उत्तराखंड भाजपा आस्था और धर्म से जुड़े इस विषय पर बैकफुट पर नजर आ रही है. उत्तराखंड भाजपा के उपाध्यक्ष और प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने कहा कि फैसला केवल बोर्ड बैठक में लिया गया है लेकिन मंजूरी केंद्र से मिलनी है.

हिमाचल प्रदेश ने भी ली थी बंदरों को मारने की अनुमति

इसी साल मई महीने में हिमाचल प्रदेश ने भी केंद्र सरकार से बंदरों को मारने की अनुमति ली थी. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बंदरों को वर्मिन यानी पीड़क जंतु घोषित करने के बाद प्रदेश की 91 तहसीलों, उपतहसीलों में प्रभावित किसानों को इन्हें मारने की अनुमति मिली थी. वर्मिन घोषित होने की अवधि एक साल के लिए मान्य है.

Last Updated : Jul 3, 2020, 5:03 PM IST

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