विदेशों में युवाओं के लिए नौकरी तलाश रही धामी सरकार देहरादून: उत्तराखंड के युवाओं को विदेशों में नौकरी दिलवाने के लिए राज्य सरकार आने वाले दिनों में कुछ खास और नए कार्यक्रम शुरू करने जा रही है. हालांकि इसके लिए हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान सरकार ने कुछ संकेत भी दे दिए हैं. लेकिन आगामी दिनों में मैकेंजी ग्लोबल कंपनी की सलाह पर विशेष कार्य योजना के तहत काम होने जा रहा है. जिससे राज्य की खराब आर्थिकी के साथ बेरोजगारी की समस्या के समाधान में भी मदद मिलेगी.
राज्य में बेरोजगारी को लेकर युवाओं के सामने बढ़ती समस्या को देखते हुए धामी सरकार ने विदेशों में रोजगार के विकल्पों को भी तलाशना शुरू कर दिया है. हाल ही में हुई कैबिनेट के दौरान सरकार ने न केवल युवाओं को स्किल्ड करने के प्लान पर बात की, बल्कि विदेशी भाषा सिखाने के लिए सरकार द्वारा 20% खर्चे का वहन करने पर भी अंतिम मोहर लगाई गई. हालांकि अब तक केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में ही युवाओं को विदेशों में नौकरी दिलवाने के प्रयास हुए हैं. लेकिन आने वाले दिनों में इसका एक वृहद रूप नई कार्ययोजना के रूप में दिखाई दे सकता है.
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दरअसल, राज्य सरकार की तरफ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली मैकेंजी कंसलटेंट कंपनी को हायर किया गया है. जिसने रोजगार के साथ राज्य की आर्थिकी के लिए कौशल विकास यानी स्किल डेवलपमेंट विभाग में कुछ खास कार्य योजना तैयार करना शुरू कर दिया है. इसके तहत अब दुनिया भर में मैन पावर की कमी का अध्ययन करते हुए जरूरी स्किल लोग उत्तराखंड द्वारा उपलब्ध कराए जाने का प्रयास किया जाएगा. इसमें उन स्किल को चिन्हित किया जाएगा, जिसकी दुनिया भर में डिमांड की जा रही है और इसी के आधार पर युवाओं को इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी और संबंधित देश की भाषा भी सिखाई जाएगी. इतना ही नहीं इन देशों में प्लेसमेंट के लिए भेजने तक का काम भी सरकार द्वारा ही किया जाएगा.
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बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरफ से पूर्व में सीएम कौशल उन्नयन व वैश्विक रोजगार योजना की घोषणा की गई थी. जिसके तहत जर्मनी और जापान में नर्सिंग और जीएनएम के तहत रोजगार देने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. लेकिन अब स्किल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट की महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए बाकी सभी देशों में भी जरूरी मेन पावर की जरूरतों को देखते हुए कार्य योजना तैयार हो रही है. सचिव नियोजन आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेन पावर को लेकर जो कमी है, उस को ध्यान में रखते हुए तमाम कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं और कोशिश यह है कि उत्तराखंड के लोग यदि पलायन कर रहे हैं तो वह पलायन हायर सैलरी के लिए हो, कम वेतन के लिए पलायन से राज्य को लाभ नहीं हो पाता. खास बात यह है इसकी केरल में भी इसी मॉडल पर बेहतर तरीके से काम किया जा रहा है और अब उत्तराखंड भी इसके लिए प्रयासरत है.