देहरादून: पर्वतीय अंचलों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं (Uttarakhand Health Systems) की तस्वीर अक्सर सामने आती रहती है और सरकार सिस्टम की सुस्त चाल इसको और गंभीर बना देती है. सीमांत जनपद पिथौरागढ़ वालों का मेडिकल कॉलेज (Pithoragarh Medical College) का सपना हाल फिलहाल में पूरा होने के कोई आसार नहीं हैं. जनपद में मेडिकल कॉलेज बनने का सपना फिलहाल सपना ही बना हुआ है. स्थिति यह है कि दो बार हुए शिलान्यास के बाद भी मेडिकल कॉलेज के निर्माण को लेकर पिछले कई सालों में एक भी कदम आगे बढ़ाया नहीं जा सका है. यही नहीं भारत सरकार की कार्यदायी संस्था NPCC से भी मेडिकल कॉलेज के निर्माण (Pithoragarh Medical College building construction) से जुड़ा अनुबंध खत्म कर दिया गया है. जानिए क्या है पूरा मामला.
सपना बनकर रह गया मेडिकल कॉलेज:गौर हो कि उत्तराखंड में पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के निर्माण की खबर कोई नई नहीं है, करीब 8 साल पहले जिस मेडिकल कॉलेज की घोषणा हुई थी, उस पर साल 2022 की समाप्ति तक भी कुछ खास काम नहीं हो पाया है. सबसे पहले जानिए कि पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज की जरूरत क्यों है और इसका कैसे कुमाऊं क्षेत्र को फायदा मिलेगा. दरअसल, पिथौरागढ़ एक पहाड़ी जिला है और यह दूरस्थ क्षेत्रों के कई ऐसे गांव हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा (Pithoragarh International Border) के करीब है. पिथौरागढ़ जिले की सीमा न केवल नेपाल से मिलती है बल्कि चीन के कब्जे वाला तिब्बत भी इससे मिलता है.
मेडिकल कॉलेज का अधर में लटका कार्य:जाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से मिलने के कारण इसका महत्व बेहद ज्यादा है. यही नहीं गढ़वाल मंडल के चमोली से लेकर कुमाऊं के बागेश्वर अल्मोड़ा और चंपावत जिले की सीमाएं भी इससे लगती है. साफ है कि पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापित होने से न केवल चमोली बल्कि बागेश्वर अल्मोड़ा और नैनीताल जिले के एक बड़े हिस्से को स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी राहत मिलेगी. लेकिन पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का सपना फिलहाल अधर में लटका हुआ है.
जानिए कब क्या हुआ:साल 2014 में कांग्रेस सरकार के दौरान पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की घोषणा हुई थी और हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते (Uttarakhand Harish Rawat Government) हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास साल 2017 में किया था. जिसके बाद भाजपा सरकार आने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रहते पिथौरागढ़ और हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को केंद्र से स्वीकृति मिली थी और भारत सरकार की कार्यदायी संस्था एनपीसीसी को मिली निर्माण की जिम्मेदारी दी गई.सितंबर 2021 में निर्माण कार्य से असंतुष्ट होकर उत्तराखंड एनपीसीसी के साथ अनुबंध खत्म किया और जिसके बाद पेयजल निगम (Uttarakhand Drinking Water Corporation) को कार्य दिया गया.
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