देहरादून: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रदेश में आपदा जैसे हालात बनना आम बात है. मॉनसून सीजन के दौरान प्रदेश में स्थितियां और भी भयावह हो जाती हैं. जिससे निपटने को लेकर राज्य सरकार की तमाम तैयारियां नाकाफी साबित होती हैं. बीते दो-तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण एक बार फिर से प्रदेश में हालात बेकाबू हो गये हैं. प्रदेश की सैकड़ों सड़कें क्षतिग्रस्त है, कई राजमार्ग बाधित हैं, क्षेत्र जलमग्न हैं, जन जीवन अस्त व्यस्त है. बावजूद इसके अब तक लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है. अभी तक के मिले आंकड़ों के लिहाज से बात करे तो आपदा मद से मिलने वाले धन को आवंटित करने में आपदा विभाग फिसड्डी साबित हुआ है.
बता दें भारत सरकार भी आपदा के मद्देनजर, राज्य को सैकड़ों करोड़ रुपये देता है. जिसका इस्तेमाल आपदा के तहत बचाव कार्य में किया जाता है. मगर वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार मात्र 28 प्रतिशत पैसा ही जिलों को उपलब्ध करा पायी है.
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हर साल मॉनसून सीजन के दौरान उत्तराखंड के तमाम क्षेत्र बारिश की वजह से आपदा से प्रभावित होते हैं. इस दौरान जानमाल दोनों का ही नुकसान होता है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार मॉनसून सीजन से पहले ही आपदा संबंधी व्यवस्थाओं को मुकम्मल करने में जुट जाती है. मगर मॉनसून सीजन के दौरान स्थितियां इतना विकट हो जाती हैं कि राज्य सरकार की व्यवस्थाएं नाकाफी साबित होती हैं.
जिसकी बानगी आजकल देखी जा सकती है. प्रदेश का एक भी ऐसा जिला नहीं है जो भारी बारिश की चपेट में न आया हो. भारी बारिश होने की वजह से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों समेत मैदानी क्षेत्रों में न सिर्फ सड़कें बाधित और क्षतिग्रस्त हो गई हैं. बल्कि लोगों का जीना भी मुहाल हो गया है. राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के तमाम मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में बीते 2 दिनों से भारी बारिश हो रही है.
जिसके चलते जिला देहरादून के कई सड़कों और पुलों के गिरने के साथ ही प्रदेश के पर्वतीय जिलों में भी सड़कें बाधित होने की सूचनाएं लगातार आ रही हैं. यही नहीं, पर्वतीय क्षेत्रों समेत मैदानी क्षेत्रों में कई जगहों पर लोगों के घरों में पानी घुस गया है. कुछ जगहों सड़कें पूरी तरह से जलमग्न हो गई हैं. यही नहीं, राज्य में बहने वाली सभी नदियां पूरे उफान पर हैं.
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बारिश-लैंडस्लाइड से 200 से ज्यादा सड़कें बाधित: उत्तराखंड में बीते दो दिनों से हो रही लगातार हो रही भारी बारिश के चलते स्थितियां दिनों-दिन बिगड़ती जा रही हैं. आलम यह है कि भूस्खलन और भू धंसाव से पांच नेशनल हाईवे समेत कुल 200 से ज्यादा सड़कें बंद हैं. जिन्हें खोलने का प्रयास किया जा रहा है.
टिहरी जिला प्रशासन ने ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 58 को तपोवन से मलेथा तक आवागमन के लिए बंद कर दिया है. वहीं, पहाड़ियों से लगातार पत्थर और बोल्डर गिरने से पर्वतीय क्षेत्रों की यात्रा भी खतरनाक बनी हुई है. ऐसे में लोगों को इन दिनों पहाड़ की यात्रा टालने की सलाह दी गई है. यही नहीं, हरिद्वार में गंगा भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. ऐसे में प्रशासन ने पांच जिलों में हाई अलर्ट जारी किया है. साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को भी अलर्ट रहने को कहा गया है.
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करीब 28 फीसदी बजट किया गया है आवंटित:आपदा के दृष्टिगत भारत सरकार सभी राज्यों को आपदा से निपटने के लिए बजट उपलब्ध कराता है. जिससे आपदा के समय राहत बचाव कार्यों के दौरान बजट के अभाव के चलते स्थितियां और भयानक ना हो. इसी क्रम में भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन निधि के तहत उत्तराखंड राज्य को केंद्रांश रूप में 937 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध कराई थी.