देहरादून: देश के तमाम हिस्सों से अंग तस्करी के मामले सामने आते रहे हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार भी इस तरह के मामलों को गंभीरता से ले रही है. लेकिन अंग तस्करी के मामले तब भी थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. उत्तराखंड में भी साल 2017 में किडनी तस्करी का हाईप्रोफाइल मामला सामने आया था, जिसके तार देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी जुड़े हुए थे. वहीं अब उत्तराखंड सरकार ने अंग तस्करी के मामले को गंभीरता से लेते एक बड़ी पहल की है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि अंग तस्करी पर लगाम लग सकेगी.
दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने अंग तस्करी और अंग प्रत्यारोपण पर निगरानी रखने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से गठित इस 6 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति में तीन न्यूरो सर्जन और तीन आईसीयू के चिकित्सकों को शामिल किया गया है.
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इस समिति में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े दो विशेषज्ञ चिकित्सक और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चार चिकित्सकों को बतौर सदस्य नामित किया गया है, जो न सिर्फ इस पूरे मामले की निगरानी करेंगे, बल्कि ब्रेन डेड मरीजों के परिजनों की स्वेच्छा से अंग दान की सहमति पर भी समिति की जांच के बाद ही अंगों का प्रत्यारोपण किया जा सकेगा.
दरअसल, अस्पतालों में ब्रेन डेड मरीजों के अंगों के प्रत्यारोपण पर लगाम लगाने का कोई प्रावधान नहीं था. जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग में समिति का गठन किया है. ऐसे में अगर किसी हॉस्पिटल में ब्रेन डेड के मरीजों के अंग प्रत्यारोपण की सहमति परिजन दे देते हैं, तो ऐसे में यह समिति पहले मरीज की जांच करेगी कि क्या वास्तव में मरीज का नेचुरल ब्रेन डेड हुआ है. या फिर अंग प्रत्यारोपण के लिए मरीज को ब्रेन डेड किया गया है.
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ऐसे में समिति की सहमति के बाद ही ब्रेन डेड मरीजों के अंगों का प्रत्यारोपण संभव हो पायेगा. साथ ही इससे अंग तस्करी जैसे मामलों पर भी लगाम लगेगी. बता दें कि कुछ समय पहले कुछ अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों ने ब्रेन डेड मरीजों के अंग प्रत्यारोपण को लेकर स्वास्थ्य विभाग से अनुमति मांगी थी. जिसके बाद इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने बैठक की थी.
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया था कि अस्पतालों को सीधे अंग प्रत्यारोपण की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. लिहाजा सरकारी नियंत्रण में ही अंग प्रत्यारोपण किया जाए. जिसके चलते 6 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया.
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वहीं, स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि अंग तस्करी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने निर्णय लेते हुए कमेटी गठित कर दी है. लिहाजा इसके सकारात्मक पहलू सामने आयेंगे. साथ ही कहा कि इसके लिए पूरा एक सिस्टम बना रखा है और कमेटी पूरे मामले को देखेगी. वहीं, डीजी हेल्थ विनीता शाह ने बताया कि जो अस्पताल ब्रेन डेड मरीजों का अंग प्रत्यारोपण करना चाहते हैं, उनको गठित समिति से सहमति लेनी होगी. हालांकि, समिति पहले इस बात की जांच करेगी कि क्या वास्तव में मरीज का ब्रेन डेड हुआ है या फिर जानबूझकर ब्रेन डेड किया गया है, जिससे अंग प्रत्यारोपण के दुरुपयोग पर भी लगाम लग सकेगी.