देहरादून: उत्तराखंड की भौगोलिक और प्राकृतिक सौंदर्य के दृष्टिकोण से यहां 12 माह पर्यटन की अपार संभवनाएं हैं. लेकिन उत्तराखंड बनने के 22 साल बाद भी इन संभावनाओं को धरातल पर नहीं उतारा जा सका है. हालांकि, धामी सरकार 2.0 प्रदेश में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए खाका तैयार कर रही है.
इस योजना पर अभी शुरुआती दौर में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की ओर से विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. उत्तराखंड के दो गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में 24 मंदिरों चिन्हित किया जाए. इसके साथ ही धार्मिक मान्यताओं से जुड़े पर्यटन सर्किट को चिन्हित कर इन्हें विकसित करने की योजना तैयार की जाए, जिससे कि चारधाम यात्रा के अलावा भी पर्यटक और श्रद्धालु उत्तराखंड का रुख करें और यहां पर रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाया जा सके.
शीतकालीन पर्यटन पर सरकार का फोकस उत्तराखंड में 6 माह चलने वाली चारधाम यात्रा यहां के व्यवसाय की मुख्य रीढ़ है. इसके साथ ही प्रदेश में पर्वतारोहण भी पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रोजगार का साधन है, लेकिन इस 6 माह के बीच में मॉनसून के कारण चारधाम यात्रा और पर्वतारोहण मात्र 4 माह ही चल पाता है, जबकि उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है और यहां पर कई सिद्धपीठ मंदिर ऐसे हैं, जो कि 12 माह खुले रहते हैं.
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इसके साथ ही धार्मिक मान्यताओं के कई ऐसे ट्रेक हैं, जहां पर किसी भी मौसम में पहुंचा जा सकता है. मात्र आवश्यकता है तो इन क्षेत्रों को विकसित करने और इनका प्रचार-प्रसार बढ़ाने की, जिससे कि उत्तराखंड में 12 माह पर्यटक और श्रद्धालुओ के पहुंचने से यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार भी मुहैया हो सके. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि प्रदेश में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ाने के लिए उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में स्थित देवियों के शक्तिपीठों सहित भगवान शंकर के मंदिरों और इसके साथ ही महाभारत सर्किट सहित विवेकानन्द सर्किट को विकसित किया जाएगा.
इसके साथ ही टिंबरसैंण महादेव सहित प्रदेश से जुड़ी धार्मिक संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा और देश दुनिया के सामने इसे रखा जाएगा. जिससे कि चारधाम में उत्तराखंड में आने वाले श्रद्धालु 12 माह यहां की धार्मिक विरासत को देखने को पहुंच सके. महाराज का कहना है कि जिस प्रकार से औली सहित दयारा बुग्याल, सांकरी व कौड़ियाला में रिवर राफ्टिंग को शुरू कर पलायन को रोका गया है, उसी प्रकार अब धार्मिक पर्यटन से भी पलायन को रोकने का प्रयास किया जाएगा.
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बता दें कि 2015-16 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी धार्मिक शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चारों धामों के शीतकालीन गद्दियों को विकसित करने का प्रयास किया था, लेकिन वह कुछ दिन चलने के बाद अधिक सफल नहीं हो पाया था. वहीं, अब देखना है कि धामी सरकार 2.0 और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की यह योजना धरातल पर उतर पाती है या ये योजना भी सुस्त सरकारी सिस्टम की भेंट चढ़ जाएगी.