देहरादून:कृषि कानून को लेकर किसानों का अपना पक्ष है तो सरकार इस कानून को लेकर अपने ही तर्क रख रही है. भारत सरकार ने कृषि कानून को लेकर किसानों से कई दौर की बैठकें भी की है. उधर, उत्तराखंड में भी किसानों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के दरवाजे पर दस्तक दी है। भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने कृषि मंत्री सुबोध उनियाल से मिलकर कृषि कानून समेत 22 बिंदुओं पर बातचीत की.
वहीं, हरिद्वार पहुंचे कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कुछ राजनैतिक दल किसानों को बहला रहे हैं. पिथौरागढ़ में उत्तराखंड मंडी परिषद के अध्यक्ष गजेन्द्र बिष्ट ने कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताया. वहीं, बाजपुर पहुंचे अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव महाजन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों से भविष्य में सरकारी मंडी समाप्त होने का खतरा है.
कृषि कानूनों पर त्रिवेंद्र सरकार लगा रही पूरा जोर सुबोध उनियाल से मिले भाकियू नेतादेहरादून में भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने प्रदेश के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल से मुलाकात की और 22 बिंदुओं पर चर्चा की. किसानों की तरफ से कृषि कानून और न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत किसानों से जुड़े तमाम दूसरे विषयों को रखा गया. वहीं, कृषि मंत्री ने भी साफ किया कि हकीकत में किसानों को कृषि कानून की जानकारी ही नहीं है. मुलाकात के दौरान उन्होंने कृषि कानूनों के तीनों बिंदुओं पर किसानों को समझाया, जिस पर किसानों ने भी सहमति जताई है. कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि कॉर्पोरेट घरानों से जुड़े लोग किसानों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं और किसानों के हितों वाले इस कृषि कानून का विरोध करवाया जा रहा है.
कृषि कानून के खिलाफ छात्रों का हल्ला बोल. इस 22 बिंदु में से सबसे ऊपर कृषि कानून में संशोधन की मांग की गई है. दूसरे नंबर पर एमएसपी को अनिवार्य रूप से लागू किए जाने की भी मांग की गई है. उधर, किसानों को खेत से जुड़े खाद और दूसरी उर्वरक तत्व, ट्रैक्टर बीज और कृषि यंत्रों पर जीएसटी जोड़ कर सरकार को कृषि उत्पादों का भुगतान करना चाहिए. गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को जल्द से जल्द दिलवाने, किसानों को मंडी समिति और भारतीयों के कमीशन से मुक्त कराने किसानों की प्रणाली और गन्ने की पत्ती को जलाने पर किसानों पर किए जा रहे मुकदमों को वापस लिया जाए. 70 साल से अधिक उम्र के किसानों को 10 जार रुपए की पेंशन दिए जाने जैसी कई मांगों को किसानों ने रखा है.
मदन कौशिक बोले- किसानों को बरगला रहे कुछ लोग
सरकार ने कृषि कानून की उपलब्धियां बताने के लिए अपने मंत्री, विधायक और सांसद तक को मैदान में उतार दिया है. हरिद्वार में केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रेस वार्ता कर कृषि कानून की उपलब्धियां गिनवाई इसके एक दिन बाद ऋषिकुल मैदान से लेकर जटवाड़ा पुल ट्रैक्टर रैली तक का आयोजन किया गया. बुधवार को हरिद्वार के ऋषिकुल मैदान में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्चुअली हरी झंडी दिखाकर रैली की शुरूआत की. आज हरिद्वार पहुंचे मदन कौशिक ने भी किसानों से बात की और उन्हें कानून के फायदे गिनाए.
उत्तराखंड मंडी परिषद के अध्यक्ष गजेन्द्र बिष्ट कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि जो राजनीतिक दल किसानों को बहला फुसलाकर अपना राजनीतिक हित साधने में लगे हैं, किसी भी सूरत में उनके मंसूबों में कामयाब नही होने दिया जाएगा. भारतीय जनता पार्टी द्वारा तरह किसानों के बीच जाकर रैली और गोष्ठियों के माध्यम से उन्हें समझाने का प्रयास लगातार जारी रहेगा.
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मंडी परिषद के अध्यक्ष ने कृषि कानून को बताया हितकारी
पिथौरागढ़ पहुंचे उत्तराखंड मंडी परिषद के अध्यक्ष गजेन्द्र बिष्ट ने कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताया. उन्होंने कहा कि विपक्षी दल किसानों को भड़काकर अपनी राजनीति कर रहे हैं. जबकि नए कृषि कानून किसानों को कई विकल्प दे रहे हैं. बताया कि मंडियां पहले की ही तरह संचालित होंगी और एमएसपी भी लागू रहेगा.
बेरीनाग पहुंचे किसान आयोग के प्रदेश अध्यक्ष. गजेंद्र बिष्ट ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों से किसानों की आय दोगुनी होगी. उन्होंने लोगों से इसके समर्थन में आने की अपील की. साथ ही विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर विपक्षी दल किसानों और आम जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं. जिसे दूर करने के लिए पार्टी कार्यकर्ता जनता के बीच जाएंगे.
बाजपुर में कृषि कानून के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद का हल्ला-बोल
कृषि कानून के विरोध में छठाे दिन भी छात्राओं का प्रदर्शन रहा जारी रहा. आज अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद, बजरंग दल से जुड़े छात्रों को किसानों को अपना समर्थन दिया. इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव महाजन स्कूली छात्राओं का समर्थन किया और केंद्र सरकार से कृषि कानून को वापस लेने की मांग की.
डॉ. राजीव महाजन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानून से निकट भविष्य में सरकारी मंडी समाप्त होने का खतरा है क्योंकि उधोगपति को टैक्स नही देना होगा. जबकि सरकारी मंडियों में लगभग 3.5% टैक्स लगता है. दूसरे कानून में कॉन्ट्रैक्ट खेती का प्रावधान है. तीसरे कानून में असीमित भंडारण का प्रावधान है, जिससे कालाबाजारी का खतरा होगा और खाने की चीज़ें बहुत महंगी हो जाएगी.
किसान आयोग के प्रदेश अध्यक्ष ने कृषि कानून को बताया हितकारी
किसान आंदोलन को विपक्ष की साजिश बताते हुए प्रदेश किसान आयोग के अध्यक्ष राजेश राजपूत ने इसे किसानों के हित में बताया. बेरीनाग में पत्रकार वार्ता के दौरान राजेश राजपूत ने कहा कि किसानों को भ्रमित करने की साजिश की जा रही है और जबरन आंदोलन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कृषि कानून किसानों के लिए लाभदायक होने के साथ ही किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करता है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमेशा ही किसानों के हित में काम कर रही है. किसान सम्मान निधि देकर किसानों को विभिन्न सुविधायें दी जा रही है. वहीं, प्रदेश सरकार काश्तकारों को 3 लाख तक ऋण निशुल्क देने के साथ किसानों के कई कल्याणकारी योजनाओं का संचालित कर रही है. किसानों को उपकरण सब्सिडी में दी जा रही है. इस नए कृषि कानून के साथ 2022 में हर किसान की आय दोगनी हो जाएगी.