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उत्तराखंड गौरव पुरस्कार की घोषणा, ये तीन विभूतियां मरणोपरांत होंगी सम्मानित - Uttarakhand Gaurav Samman Award to Prasoon Joshi

राज्य स्थापना दिवस से पहले सरकार ने 'उत्तराखंड गौरव सम्मान' पुरस्कार की घोषणा की. इस बार पांच लोगों को उत्तराखंड गौरव सम्मान पुरस्कार से नवाजा गया है. इनमें एनएसए अजीत डोभाल और प्रसून जोशी का नाम भी शामिल है.

Uttarakhand Gourav Puruskar
उत्तराखंड गौरव पुरस्कार की घोषणा

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Published : Nov 6, 2022, 9:03 PM IST

Updated : Nov 6, 2022, 10:07 PM IST

देहरादून: धामी सरकार ने 'उत्तराखंड गौरव सम्मान' पुरस्कार- 2022 की घोषणा कर दी है. इस पुरस्कार के लिए गठित की गई समिति की संस्तुति पर देश की महान विभूतियों को इसके लिए चुना है. इनमें से तीन लोगों को मरणोपरांत यह सम्मान दिया जा रहा है.

उत्तराखंड गौरव सम्मान पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है. इस बार पांच विभूतियों को यह पुरस्कार मिलने जा रहा है. जिनमें वर्तमान भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोभाल, भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी, प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत, जनकवि और लेखक स्वर्गीय गिरीश चन्द्र तिवारी (गिर्दा), साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले स्वर्गीय वीरेन डंगवाल का नाम शामिल है. इस बार तीन विभूतियों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया जा रहा है.

उत्तराखंड गौरव पुरस्कार की घोषणा.

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अजीत डोभाल, एनएसए:अजीत डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं. वे 30 मई 2014 से इस पद पर हैं. डोभाल भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं. अजित डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार में हुआ. उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए. कड़ी मेहनत के बल पर वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुने गये.

अजीत कुमार डोभाल

प्रसून जोशी, कवि और लेखक: प्रसून जोशी हिन्दी कवि, लेखक, पटकथा लेखक और भारतीय सिनेमा के गीतकार हैं. वे विज्ञापन जगत की गतिविधियों से भी जुड़े हैं. अन्तरराष्ट्रीय विज्ञापन कंपनी मैकऐन इरिक्सन में कार्यकारी अध्यक्ष हैं. फिल्म तारे ज़मीन पर के गाने मां... के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है. वे अभी सेंसर बोर्ड के चेयरमैन हैं. प्रसून का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के दन्या गांव में 16 सितम्बर 1968 को हुआ था. उनके पिता का नाम देवेन्द्र कुमार जोशी और माता का नाम सुषमा जोशी है. उनका बचपन एवं उनकी प्रारम्भिक शिक्षा टिहरी, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, चमोली एवं नरेन्द्रनगर में हुई, जहां उन्होंने एमएससी और उसके बाद एमबीए की पढ़ाई की.

प्रसून जोशी, कवि

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स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत:स्वर्गीयजनरल बिपिन सिंह रावत भारत के पहले रक्षा प्रमुख या चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) थे. उन्होंने ने 1 जनवरी 2020 को रक्षा प्रमुख के पद का भार ग्रहण किया था. इससे पूर्व वो भारतीय थल सेनाध्यक्ष के पद पर 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक पर रह चुके थे. बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश के गढ़वाल जिले के पौड़ी जिले में हुआ. इनका परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवा दे रहा था. इनके पिता लक्ष्मण सिंह राजपूत पौड़ी गढ़वाल जिले के सैंजी गांव से थे. लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए. वहीं, 8 दिसंबर 2021 को, एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में 63 वर्ष की आयु में जनरल रावत का निधन हो गया था.

स्व जनरल बिपिन रावत

स्वर्गीय गिरीश चन्द्र तिवारी (गिर्दा):गिरीश चंद्र तिवारी (गिर्दा) का जन्म 10 सितंबर 1945 में अल्मोड़ा जिले के ज्योली गांव में हुआ था. गिर्दा ने अपने गीतों, कविताओं से उत्तराखंड के जन आंदोलनों को नई ताकत दी. चिपको, नशा नहीं-रोजगार दो, उत्तराखंड आंदोलन और नदी बचाओ आंदोलन को नए तेवर दिए. उनके गीतों से मिलती ताकत से सोए और निष्क्रिय पड़े लोग भी सोचने पर विवश हो जाते थे.गिरीश चंद्र तिवारी (गिर्दा) उत्तराखंड के एक बहुचर्चित पटकथा, लेकर, गायक, कवि, निर्देशक, गीतकार और साहित्यकार थे. गिरीश चंद्र तिवारी उर्फ 'गिर्दा' को जनगीतों का नायक भी कहा जाता है. राज्य के निर्माण आंदोलन में अपने गीतों से पहाड़ी जनमानस में ऊर्जा का संचार और अपनी बातों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने का जो हुनर गिर्दा में था, वो सबसे अलहदा था. उनकी रचनाएं इस बात की तस्दीक करती है.

स्व गिरीश चन्द्र तिवारी (गिर्दा)

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स्वर्गीय वीरेन डंगवाल:वीरेन डंगवाल साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी कवि थे. उनका जन्म कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ. उनकी मां एक मिलनसार धर्मपरायण गृहणी थीं. पिता स्वर्गीय रघुनंदन प्रसाद डंगवाल प्रदेश सरकार में कमिश्नरी के प्रथम श्रेणी अधिकारी थे. उनकी रुचि कविताओं कहानियों दोनों में रही है. उन्होंने मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल और अन्त में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने 1968 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए और तत्पश्चात डीफिल की डिग्रियां प्राप्त की. वीरेन बरेली कॉलेज में हिन्दी के अध्यापक भी रहे. साथ ही शौकिया पत्रकार भी थे. स्थाई रूप से बरेली के निवासी थे. अंतिम दिनों में स्वास्थ्य संबंधी कारणों से दिल्ली में रहना पड़ा. 28 सितंबर 2019 को 68 साल की उम्र में बरेली में उनका देहांत हुआ.

स्व वीरेन डंगवाल, साहित्य
Last Updated : Nov 6, 2022, 10:07 PM IST

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