देहरादून: उत्तराखंड में वन विभाग के अधिकारी यूं तो अपने कई कारनामों के चलते सुर्खियों में छा चुके हैं. लेकिन इस बार मामला IFS अधिकारी की हनक से जुड़ा हुआ है. पूर्व प्रमुख वन संरक्षक जयराज की तूती विभाग में नियुक्ति के दौरान भी बोलती थी और सेवानिवृत होने के बाद भी उनका अधिकारियों पर जलवा बरकरार है. शायद इसीलिए रिटायर होने के 6 महीने बाद तक भी विभाग के अधिकारी उनसे बंगला खाली नहीं करवा पा रहे हैं.
उत्तराखंड में रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी जयराज का रुतबा किसी से छिपा नहीं है. विभाग में प्रमुख वन संरक्षक रहते न केवल विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत को उन्होंने सीधी चुनौती दी थी बल्कि कोई विभागीय अधिकारी भी उनके सामने जुबान तक नहीं खोल पाता था. लेकिन, रिटायरमेंट के बाद भी जयराज का पुराना रुतबा बरकरार है. तभी तो 6 महीने पहले रिटायर हो चुके जयराज अब भी वन विभाग के सरकारी बंगले पर कुंडली मारे बैठे हैं.
वन विभाग जयराज से मिन्नतें कर रहा है लेकिन ना तो वह बाजार रेट के हिसाब से किराया वसूल पा रहा और ना ही उनसे सरकारी आवास खाली करवा पा रहा है. विभाग में जयराज का खौफ इस कदर है कि विभाग के अधिकारी इस मामले पर बोलने में संकोच करते दिख रहे हैं.
क्या है जयराज के सरकारी बंगले का मामला ?
दरअसल, जयराज को प्रमुख वन संरक्षक रहते सरकारी बंगला दिया गया था. इसे रिटायरमेंट के बाद उन्हें खाली करना था. बंगला खाली करने के लिए ज्यादा से ज्यादा 2 महीने का वक्त दिया जाता है. लेकिन 6 महीने बीतने के बाद भी जयराज इस बंगले को खाली करने को तैयार नहीं हैं. ऐसे हालात में अधिकारी बेबस होकर सिर्फ मिन्नतें ही कर रहे हैं और कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं.
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नियमों के मुताबिक, जयराज को वन विभाग ने निर्धारित बाजार मूल्य करीब 50 हजार रुपये महीना पर इस बंगले का किराया तय किया है. लेकिन जयराज को विभाग द्वारा तय बाजार मूल्य भी मंजूर नहीं है. सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से अभी तक डेढ़ लाख से ज्यादा का किराया जयराज पर बकाया है. लेकिन जयराज हैं कि मानने को तैयार ही नहीं.