देहरादून: पूरा देश कोरोना से निपटने की कोशिशों में जुटा है. वहीं उत्तराखंड वन महक़मे की चिंता आने वाले उस खतरे को लेकर है, जो पर्यावरण के संरक्षण से जुड़ी है. दरअसल, फायर सीजन के लिए वन विभाग बेहद चिंतित है. यही कारण है कि कोरोना वायरस की ड्यूटी में जुटे वनकर्मियों को भी विभागीय मन्त्री ने इससे हटाने के लिए कहा है.
यही नहीं बेहद जरूरी होने पर ही जिलाधिकारियों द्वारा वनकर्मियों को कोरोना वायरस से जुड़े कामों पर लगाने के लिए कहा गया है. आपको बता दें कि फायर सीजन के दौरान उत्तराखंड में वनाग्नि की ज्यादा घटनाएं सामने आती हैं और इससे पर्यावरण को नुकसान भी होता है. यही कारण है कि विभागीय मंत्री ने कोरोना वायरस में वन कर्मियों की ड्यूटी को लेकर अपनी बात कैबिनेट के दौरान कही थी और जरूरी होने पर ही ऐसा करने को कहा था.
उधर, उत्तराखंड में फायर सीजन को देखते हुए वन विभाग में बड़ा फेरबदल किया गया है. यहां अधिकारियों की जिम्मेदारियों में बदलाव करते हुए कुल 10 अधिकारियों की जिम्मेदारी में फेरबदल किया गया है.
10 अधिकारियों की जिम्मेदारी में बदलाव
प्रमुख वन संरक्षक रंजना काला को उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है. ज्योत्सना सितलिंग को प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत की जिम्मेदारी दी गई है. पीके पात्रों से निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की अतिरिक्त जिम्मेदारी को वापस ले लिया गया है.
नेहा वर्मा को अपर सचिव वन एवं पर्यावरण बनाया गया है. अमित वर्मा को वन संरक्षक एवं निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क बनाया गया है. बीपी सिंह को उत्तराखंड वन विकास निगम में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है. आकाश कुमार को प्रभागीय वन अधिकारी गढ़वाल वन प्रभाग की जिम्मेदारी दी गई है.
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बताया जा रहा है कि आकाश वर्मा का हरिद्वार में राजनीतिक रूप से बेहद ज्यादा विरोध था. चंद्रशेखर जोशी को प्रभागीय वन अधिकारी रामनगर वन प्रभाग और प्रभागीय वन अधिकारी अतिरिक्त भूमि संरक्षण पर विभाग की जिम्मेदारी दी गई है. कल्याणी को उपनिदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का प्रभार दिया गया है.
जबकि, नीरज शर्मा को प्रभागीय वन अधिकारी हरिद्वार वन प्रभाग की जिम्मेदारी दी गई है. माना जा रहा है कि पुर्णागिरि को लेकर वन विभाग में तमाम रिक्त पदों को भरने की कोशिश की गई है जो या तो खाली थे या फिर अतिरिक्त प्रभार के रूप में किसी को दिए गए थे.