देहरादूनःईटीवी भारत की खबर का एक बार फिर से बड़ा असर हुआ है. ईटीवी भारत ने उत्तराखंड में पूंजीगत बजट खर्च यानी विकास कार्यों में खर्च होने वाले बजट पर डेटाबेस रिपोर्ट प्रकाशित की थी. खबर दिखाए जाने के बाद वित्त विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया और आंकड़े साझा किए हैं. वित्त विभाग ने इस साल के बजट खर्च की तुलना में पिछले साल के बजट खर्च के आंकड़े साझा किए हैं. जिसमें पिछले साल से इस साल बजट ज्यादा खर्च किया गया है, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में भी कुल बजट का 50 फीसदी भी खर्च नहीं हो पाया है.
खबर का दमदार असर: गौर हो कि बीती 29 दिसंबर को ईटीवी भारत ने 'बजट खर्च में फिसड्डी कई मंत्री, आधी राशि भी खर्च नहीं की, योजनाएं हो रही प्रभावित' और 'विकास की लड़ाई अब किसके सहारे? पिछले बजट का आधा भी खर्च नहीं कर पाए कई विभाग' हेडलाइन से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसका बड़ा असर हुआ है. खबर दिखाए जाने के बाद वित्त विभाग ने पूंजीगत परिव्यय की जानकारी दी है. जिसके मुताबिक, इस बार भी बजट खर्च में विभाग फिसड्डी नजर आ रहे हैं.
पिछले साल से सुधरी हालत: उत्तराखंड के वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि अनंतिम अनुमानों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में ₹7533.50 करोड़ का पूंजीगत परिव्यय हुआ था. कोषागार के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में 8 फरवरी 2022 तक ₹4985.12 करोड़ का पूंजीगत परिव्यय हुआ था. गौर हो कि बीते साल जल जीवन मिशन का केंद्रांश भी उक्त व्यय में शामिल था. कोषागार से प्राप्त आकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में 8 फरवरी 2023 तक कुल ₹5077.28 करोड़ का पूंजीगत परिव्यय हो चुका है.
इसमें जल जीवन मिशन परियोजना में 31 जनवरी 2023 तक लगभग ₹1082 करोड़ केंद्रांश के अंतर्गत किया गया व्यय शामिल नहीं है. इस प्रकार जल जीवन मिशन परियोजना को शामिल करते हुए इस वित्तीय वर्ष में ₹6159.28 करोड़ का पूंजीगत परिव्यय हो गया है. जो बीते साल की तुलना में ₹1174.16 करोड़ यानी 23.55 प्रतिशत ज्यादा है.
वहीं, अक्टूबर 2022 तक पूंजीगत परिव्यय में बीते साल की तुलना में कम वृद्धि हो रही थी. इस कड़ी में नियमित अंतराल पर समीक्षा बैठक की गई. जिसके कारण नवंबर 2022 के बाद बीते साल की तुलना में पूंजीगत परिव्यय में गति आई है. जिसका नतीजा ये हुआ कि 8 फरवरी 2023 तक बीते साल की तुलना में करीब 23.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
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पूंजीगत परिव्यय में वृद्धि का आंकड़ाः ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत बीते साल ₹1097 करोड़ का व्यय हुआ था. जिसके सापेक्ष इस वित्तीय वर्ष में ₹1270 करोड़ का हो चुका है. जबकि, लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत बीते साल ₹710 करोड़ का व्यय हुआ था, जिसके सापेक्ष इस वित्तीय वर्ष में ₹808 करोड़ का व्यय हो चुका है. वहीं, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत बीते साल ₹173 करोड़ का व्यय हुआ था, जिसके सापेक्ष इस वित्तीय वर्ष में ₹220 करोड़ का व्यय हो चुका है.
सिंचाई विभाग के अंतर्गत बीते साल ₹128 करोड़ का व्यय हुआ था, जिसके सापेक्ष इस वित्तीय वर्ष में ₹183 करोड़ का व्यय हुआ है. ऊर्जा विभाग के अंतर्गत बीते साल ₹63.17 करोड़ का व्यय हुआ था. जबकि, इस वित्तीय वर्ष में ₹151.32 करोड़ का व्यय हो चुका है. वहीं, न्याय विभाग के अंतर्गत बीते साल ₹8.33 करोड़ का व्यय हुआ था, जिसकी तुलना में इस वित्तीय वर्ष में ₹90.67 करोड़ का व्यय किया गया है.
खेलकूद विभागके अंतर्गत बीते साल ₹52 करोड़ का व्यय हुआ था, जिसके सापेक्ष इस वित्तीय वर्ष में ₹87.55 करोड़ का व्यय हो चुका है. इसके अलावा परिवहन विभाग में बीते साल ₹0.88 करोड़ खर्च किए गए. जिसके सापेक्ष इस वित्तीय वर्ष में ₹48.57 करोड़ का व्यय किया जा चुका है. वहीं, पंचायती राज विभाग के तहत बीते साल ₹20 करोड़ का व्यय किया गया, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में ₹30 करोड़ ही खर्च हो पाए हैं.
वहीं, बीते साल कृषि विभाग में ₹14.77 करोड़ खर्च हुआ था, जिसके सापेक्ष इस दितीय वर्ष में ₹24.49 करोड़ का व्यय किया जा चुका है. अगर नागरिक उड्यन विभाग की बात करें तो बीते साल ₹12.98 करोड़ का व्यय हुआ था, जिसकी तुलना में इस वित्तीय वर्ष में ₹18.73 करोड़ का व्यय हो चुका है. वहीं, आवास विभाग में बीते साल के मुकाबले 14.69 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
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