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शैलेश मटियानी पुरस्कारः बजट का रोना, करना पड़ता है सालों का इंतजार

उत्तराखंड में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों के लिए भी सरकार के पास पर्याप्त बजट नहीं है. शायद यही कारण है कि शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए शिक्षकों को सालों इंतजार करना पड़ता है.

शैलेश मटियानी पुरस्कार
शैलेश मटियानी पुरस्कार

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Published : Feb 3, 2020, 8:33 PM IST

देहरादूनः शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार के रूप में देखे जाने वाले शैलेश मटियानी पुरस्कार को बजट की कमी से जूझना पड़ रहा है. पुरस्कार को लेकर शिक्षकों को हर साल की बजाए दो या तीन सालों बाद पुरस्कृत किया जा रहा है. हालात ये है कि हाल ही में 2015, 2016 और 2017 में चयनित किए गए शिक्षकों को पुरस्कृत किया गया है. यानी शिक्षकों को दो साल से लेकर चार साल तक इस पुरस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. हालांकि शैलेश मटियानी पुरस्कार को हर साल दिए जाने का प्रावधान रखा गया था, लेकिन बजट न होने के कारण इसमें लगातार देरी हो रही है.

बजट का रोना

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बता दें कि पुरस्कार में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षक को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और 10 हजार रुपए के साथ ही दो साल का सेवा विस्तार दिया जाता है. इस पुरस्कार में 15 साल की निर्विवाद शैक्षिक सेवा (उत्कृष्ट परीक्षा फल और दूसरे उत्कृष्ट कार्य शामिल) चयन के मानक रखे गए हैं. शिक्षा निदेशक आरके कुंवर बताते हैं कि विभाग कोशिश कर रहा है कि हर साल इस पुरस्कार को दिया जाए.

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