देहरादूनःउत्तराखंड में नशीली और नकली दवाइयां को लेकर लगातार कार्रवाई की जा रही है. देहरादून एसएसपी अजय सिंह की ओर से नशे के खिलाफ विशेष रूप से अभियान चलाया जा रहा है. पुलिस के साथ ही ड्रग्स कंट्रोल विभाग भी बड़े स्तर पर अभियान चला रहा है. लेकिन कहीं ना कहीं यह अभियान नाकाफी साबित होता दिखाई दे रहा है. विभागीय जानकारी के अनुसार पिछले एक महीने में प्रदेश के मात्र 4 जिलों के 70 दुकानों पर ही छापेमारी की कार्रवाई की गई. ऐसे में गैर लाइसेंसी मेडिकल स्टोर और फर्जी तरीके से संचालित फार्मा कंपनियों पर लगाम लगा पाना मुश्किल लग रहा है.
उत्तराखंड सरकार ने साल 2025 तक नशा मुक्त उत्तराखंड बनाए जाने का लक्ष्य रखा है. इसके क्रम में उत्तराखंड ड्रग्स कंट्रोल विभाग और पुलिस प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है. मुख्य रूप से राजधानी देहरादून के तमाम क्षेत्रों में आए दिन नशीली दवाइयों की खेप पकड़ी जा रही है. इसमें मुख्य रूप से वो तमाम जीवन रक्षक दवाइयां हैं, जिनका इस्तेमाल मरीज को ठीक करने के लिए किया जाता है. वहीं नशे के सौदागर इन दवाइयों का दुरुपयोग कर नशे के रूप में बेचते पकड़े जाते हैं. यही वजह है कि पुलिस विभाग की ओर से समय पर छापेमारी कर नशे के सौदागरों को नशीली सामग्रियों के साथ गिरफ्तार किया जा रहा है.
ऐसे में ड्रग्स कंट्रोल विभाग, गैर लाइसेंसी मेडिकल स्टोर पर लगाम लगाने के लिए समय-समय पर छापेमारी की कार्रवाई कर रहा है. लेकिन जिस तरह से ड्रग्स कंट्रोल विभाग की ओर से छापेमारी की कार्रवाई की जाती है, वह कहीं ना कहीं नाकाफी साबित होती नजर आ रही है.
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मात्र 70 मेडिकल स्टोर पर छापेमारी: अक्टूबर महीने के दौरान ड्रग्स कंट्रोल विभाग की ओर से प्रदेश के 4 जिलों के मात्र 70 मेडिकल स्टोरों और एक फर्जी फार्मा कंपनी पर छापेमारी की कार्रवाई की गई है. ऐसे में ड्रग्स कंट्रोल विभाग पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है कि प्रदेश भर में हजारों की संख्या में मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे हैं, बावजूद इसके सिर्फ कुछ मेडिकल स्टोर्स पर छापेमारी की कार्रवाई कर विभाग शांत क्यों हो गया.