दिल्ली/देहरादून: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिला सशक्तीकरण, समाज में असाधारण और उल्लेखनीय योगदान देने वाली महिलाओं को 'नारी शक्ति पुरस्कार 2019' से सम्मानित किया. 'नारी शक्ति पुरस्कार' को महिलाओं के लिये इसे देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान माना जाता है.
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देहरादून की पर्वतारोही बहनें ताशी मलिक और नुंग्शी मलिक को राष्ट्रपति ने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया है. वे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली जुड़वां बहनें हैं. उन्होंने पर्वतारोहण को एक खेल के रूप में विकसित करने और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए नुंग्शी ताशी फाउंडेशन की स्थापना की.
ताशी-नुंग्शी का सफर:
दुनिया के कई प्रसिद्ध शिखरों को अपने कदमों पर झुकाने पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने वाली ताशी-नुंग्शी का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा. उनकी मंजिल के सफर के शुरुआती दौर में समाज की कई बेड़ियां सामने आईं. ताशी और नुंग्शी के पिता रिटायर आर्मीमैन वीके मलिका देहरादून के जोहड़ी गांव के रहने वाले हैं, लेकिन उनका जन्म हरियाणा में हुआ था. ताशी-नुंग्शी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली जुड़वां बहनें हैं. सेवन समिट्स पर चढ़कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं.
नुंग्शी मलिक और ताशी मलिक दुनिया की सबसे पहली जुड़वां बहने हैं, जिन्होंने 7 महाद्वीपों की प्रमुख चोटियों पर चढ़ाई का गौरव हासिल किया है. ताशी और नुंग्शी ने अपने पिता की सलाह पर्वतारोहण का एक बेसिक कोर्स किया. जिसकी शुरुआत 2009 से उत्तरकाशी के नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग से हुई. जिसके बाद दोनों बहनों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 17 साल की उम्र में दोनों बहनों ने पर्वतारोहण शुरू किया. नुंग्शी और ताशी ने अपनी एक संस्था 'नुंग्शी ताशी फाउंडेशन' भी बनाई है, जिसका मकसद लड़कियों में आत्मविश्वास जगाना है ताकि महिलाएं अपने सपनें को पूरा कर सकें.