देहरादून: प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहे हैं. जिलों में कोरोना के हालात पर काबू पाने के लिए नोडल अधिकारी तैनात किये गये हैं. ये नोडल अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को लेकर कितने जिम्मेदार हैं. ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने 'आपरेशन मदद' शुरू किया. जिसमें हमने सागर नाम के एक शख्स के लिए आईसीयू बेड की व्यवस्था करने की कोशिश की. इसके लिए हमनें देहरादून, टिहरी, चमोली, हरिद्वार, पौड़ी, उत्तरकाशी, श्रीनगर सभी जगहों के कंट्रोल रूम में फोन किया. जहां से हमें नंबर गेम में खूब घुमाया गया.
सागर कुमार के लिए ऑपरेशन मदद
महामारी के इस माहौल में गढ़वाल हो या कुमाऊं तमाम जगहों के अस्पतालों में व्यवस्थाएं चौपट हो चुकी हैं. आलम यह है कि अगर आप एक आईसीयू बेड के लिए सुबह से लेकर शाम तक भटक रहे हैं तो रात तक भी आपकी तलाश पूरी नहीं होगी. आज हमने गढ़वाल के देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, श्रीनगर, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल में तैनात नोडल अधिकारी और कंट्रोल रूम में फोन करके सागर कुमार नाम के पीड़ित के लिए एक आईसीयू बेड की व्यवस्था करने की कोशिश की. सागर इस वक्त अपने घर पर ही ऑक्सीजन के सहारे जिंदा हैं. डॉक्टर उन्हें जल्द से जल्द आईसीयू में शिफ्ट करने की सलाह दे रहे हैं. सागर के परिवार का कहना है कि सैकड़ों जगहों संपर्क किया जा चुका है. लेकिन अभी तक आईसीयू बेड नहीं मिल पाया.
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सबसे पहले देहरादून कंट्रोल रूम में किया फोन
ईटीवी भारत ने सबसे पहले राजधानी देहरादून के कंट्रोल रूम में फोन मिलाया. यहां पर हमारी बातचीत एक महिला से हुई. महिला ने फोन उठाकर हमारा नाम और पता पूछा. हमने बताया कि हमें एक आईसीयू बेड की आवश्यकता है. 5 मिनट तक उन्होंने कंप्यूटर पर आईसीयू बेड की तलाश की. फिर उन्होंने बताया कि देहरादून के प्राइवेट सरकारी, अस्पतालों में कोई भी आईसीयू बेड खाली नहीं है. महिला ने एक नंबर दिया. वह नंबर एक प्राइवेट अस्पताल का था. नंबर देने के साथ ही कंट्रोल रूम में बैठी महिला ने यह भी कह दिया कि वैसे वह नंबर पांच छ लोगों को अब तक दे चुकी हैं. वहां पर व्यवस्था नहीं है, लेकिन फिर भी आप कॉल कर लीजिए. हमने कॉल मिलाया, लेकिन वहां पर भी आईसीयू बेड की व्यवस्था नहीं हुई.
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हरिद्वार से फिर मिला देहरादून का नंबर
इसके बाद हमने हरिद्वार की ओर अपना ध्यान घुमाया. हरिद्वार में हमने 011 3423 90 72 कंट्रोल रूम में फोन मिलाया. यहां पर हमारी बातचीत एक शख्स से हुई. जिन्होंने ज्यादा तो बात नहीं की लेकिन हरिद्वार के नोडल अधिकारी से हमारी बात करवा दी. नंबर 9411534633 नंबर पर उपलब्ध नोडल अधिकारी ने भी हमसे हमारा नाम पता पूछा. मरीज की हालात बताने पर उन्होंने देहरादून नोडल अधिकारी का नंबर हमें दिया. उन्होंने बताया कि हरिद्वार जिले में रुड़की, भगवानपुर, नारसन और शहर में किसी भी अस्पताल में आईसीयू बेड खाली नहीं है. भले ही वह सरकारी हो या प्राइवेट.
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पौड़ी में भी नहीं मिली मदद
अब हमने पौड़ी गढ़वाल फोन मिलाया. जहां का नंबर 01368222213 था. यहां पर भी कंट्रोल रूम से हमें जो जानकारी मिली वह निराशाजनक थी. यहां भी बेड आईसीयू खाली नहीं था. यहां से हमें श्रीनगर का नंबर दिया गया. श्रीनगर कंट्रोल रूम में दो बार कॉल करने के बाद हमसे कहा गया कि आप थोड़ा वेट कीजिए. 5 मिनट के बाद हमसे दोबारा कॉल करने के लिए कहा गया. जब हमने 5 मिनट के बाद दोबारा कॉल मिलाया तो वहां से भी जवाब ना में ही जवाब मिला. उन्होंने कहा कि श्रीनगर में किसी तरह की कोई भी व्यवस्था नहीं है.
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टिहरी गढ़वाल कंट्रोल रूम से भी निराशा हाथ लगी
अगला नंबर हमने टिहरी गढ़वाल कंट्रोल रूम में मिलाया. जिनका नंबर 013 76 23 47 93 था. यहां पर हमें पता लगा कि यह नंबर आपदा कंट्रोल रूम का है. यहीं पर एक फॉर्मासिस्ट को बिठाया गया है, जो लोगों की कॉल उठाकर उनकी व्यवस्थाएं कर रहे हैं. लेकिन हमारे कॉल के दौरान डॉ. लोकेंद्र पवार कंट्रोल रूम में मौजूद नहीं थे. लिहाजा उन्होंने हमें एक और अधिकारी का नंबर दिया. डॉ अग्रवाल का नंबर मिलने के बाद हमने उन्हें कॉल मिलाया. लंबी व्यस्तता के बाद हमारी उनसे बातचीत शुरू हुई. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि वह नोडल अधिकारी नहीं हैं. वह यहां पर एक डॉक्टर हैं लिहाजा कंट्रोल रूम हर परेशानी में उन्हीं का नंबर दे देता है. बेहद अच्छे अंदाज में बात करने के बाद डॉ. अग्रवाल ने हमसे कह दिया कि आप अपने मरीज को देहरादून लेकर चले जाइए, लेकिन शायद उन्हें नहीं मालूम था कि देहरादून के हालात तो और ज्यादा खराब हैं.
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उत्तरकाशी में भी खाली नहीं मिला बेड
इसके बाद हमने गढ़वाल के ही उत्तरकाशी जनपद के कंट्रोल रूम में फोन मिलाया. जिनका नंबर 01374222641 था. इस नंबर से हमें जो नंबर मिला वह नंबर 741716269 था. उत्तरकाशी में हमारी बात कभी डॉ. रावत से होती तो कभी डॉक्टर सागर से. तीन से चार कॉल मिलाने के बाद हमें जवाब मिला कि प्रदेश के किसी भी शहर या गांव के किसी भी असपताल में कोई आईसीयू बेड खाली नहीं है. आईसीयू तो छोड़िए ऑक्सीजन बेड की किल्लत भी टिहरी और उत्तरकाशी जैसे जिलों में हो गई है. इन सभी हालातों को जानने के बाद हम हैरान थे कि विशेषज्ञ जिस तीसरी लहर की बात कर रहे हैं, उन हालातों में उत्तराखंड का स्वास्थ्य महकमा भला कैसे इन हालातों से बाहर निकलेगा?
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आखिर तक नहीं मिल पाई मदद
ऑपरेशन' मदद के आखिर में हमने उस सागर कुमार को फोन मिलाया. जिसके लिए ये सारी जद्दोजहद की जा रही थी. सागर कुमार के भाई ने फोन उठाते ही कहा कि अभी भी उनके भाई के लिए बेड की व्यवस्था नहीं हो पाई है. लिहाजा घर पर ही ऑक्सीजन के सहारे जी रहे हैं, यही नहीं डॉक्टर भी बार-बार उन्हें आईसीयू बेड पर शिफ्ट करने की बात कह रहे हैं.
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मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत हो या स्वास्थ सचिव, ये सभी अपने बयानों में बार-बार उत्तराखंड में पर्याप्त स्वास्थ्य व्यवस्था होने की बातें कहते नजर आते हैं. मगर ईटीवी भारत के 'ऑपरेशन मदद' में सरकार और शासन के ये दावे हवा-हवाई निकले. अपने ऑपरेशन' मदद में हमने पाया कि अधिकारी, जरूरतमंदों के साथ नंबर गेम खेल रहे हैं. वहीं, बात अगर मुख्यमंत्री की करें तो उन तक भी सही फीडबैक नहीं पहुंचाया जा रहा है, जिसका नतीजा है कि सीएम लगातार प्रदेश में पर्याप्त स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बात कहते नजर आते हैं.