देहरादून/नैनीतालः उत्तराखंड में कोरोना का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में रोजाना 1हजार से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. उधर, सूबे में कई कोविड सेंटरों की बदहाली भी छिपी नहीं है. ऐसे में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश के बदहाल क्वारंटाइन सेंटर और कोविड अस्पतालों की मॉनिटरिंग के लिए सभी जिलाधिकारियों को कमेटी का गठन करने के आदेश हैं. उधर, सूबे में कोरोना संक्रमण की बात करें तो राजधानी देहरादून में कोरोना केस सबसे ज्यादा हैं. आज देहरादून में चार और क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया, जबकि 10 क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन से मुक्त किया गया है. वहीं, पहाड़ो की रानी मसूरी में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण हर बुधवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित किया है. जिसका स्थानीय लोगों से लेकर व्यापारी वर्ग में नाराजगी है.
नैनीताल में बदहाल कोविड सेंटरो पर हाई कोर्ट सख्त
नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के क्वारंटाइन सेंटर और कोरोना अस्पतालों की मॉनिटरिंग के लिये प्रदेश के सभी डीएम की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के लिए निर्देशित किया है. इस कमेटी के सदस्य सम्बंधित जिले के जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष व जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव सदस्य भी शामिल होंगे. इस कमेटी की पहली बैठक 26 सितंबर को अनिवार्य रूप से होगी. जबकि कमेटी इस बैठक की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी, जिसकी सुनवाई उसके बाद आने वाले बुधवार को होगी.
दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के 6 अस्पतालों को कोविड-19 के रूप में स्थापित किया है. लेकिन इन अस्पतालों में कोई भी आधारभूत सुविधा नहीं है. जिसके बाद देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने भी उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है. साथ ही माना कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है, न ही ग्राम प्रधानों के पास कोई फंड उपलब्ध है.
राजधानी में बनाए गए 4 नए कंटेनमेंट जोन