उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

नहीं रहे कांग्रेस के 'संकटमोचक' प्रणब दा, उत्तराखंड से था बेहद लगाव

साल 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार में कांग्रेस के संकटमोचक प्रणब मुखर्जी जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे. इस रिपोर्ट के जरिए जानिए प्रणब दा का उत्तराखंड कनेक्शन.

Pranab Mukherjee
प्रणब दा का उत्तराखंड कनेक्शन

By

Published : Aug 31, 2020, 5:56 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 7:49 PM IST

देहरादून: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है. सोमवार शाम को 84 साल की उम्र में प्रणब मुखर्जी ने अंतिम सांस ली. वो पिछले कई दिनों से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे. बीते दिनों प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनकी सर्जरी भी हुई थी. प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी के निधन की जानकारी दी. प्रणब दा को उत्तराखंड से बेहद लगाव था और बतौर राष्ट्रपति वे कई बार देवभूमि का दौरा भी कर चुके हैं. आइए एक नजर डालते हैं प्रणब दा के उत्तराखंड कनेक्शन पर.

इतिहास के पन्नों पर 18 मई 2015

उत्तराखंड विधानसभा के संसदीय इतिहास में 18 मई का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. उत्तराखंड के 20 सालों के संसदीय इतिहास में यह पहला मौका था जब राष्ट्रपति ने सत्ता और विपक्ष के सभी सदस्यों को विधानसभा में संबोधित किया. उत्तराखंड विधानसभा में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एक संसदीय शिक्षक की तरह पेश आए. उन्होंने सदस्यों को प्रजातांत्रिक और संसदीय मूल्यों का महत्व समझाते हुए आगाह भी किया कि प्रश्नकाल के समय को जनता को समर्पित करें.

उत्तराखंड विधानसभा में विधायकों को संबोधित करते प्रणब दा.

इस दौरान प्रणब दा ने सदस्यों को सदन में वाद-विवाद, विचार विमर्श, निर्णय पर फोकस करने और व्यवधान से बचने की सलाह दी थी. इस दौरान प्रणब मुखर्जी ने कहा कि गणतंत्र के संस्थापकों ने भी माना कि संसदीय प्रणाली ही हमारे स्वभाव से मेल खाती है. लोकतंत्र में बहुमत को अल्पमत के विचारों का सम्मान करने और स्वीकार करने में संकोच नहीं करना चाहिए. प्रणब दा ने कहा कि साल भर में कम से कम 100 दिन सदन की कार्यवाही होनी चाहिए.

28 सितंबर 2016 देहरादून दौरा

तीन दिन के दौरे पर देहरादून पहुंचे प्रणब मुखर्जी ने 'द प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड स्टेट' में नए कलेवर में निखरे आशियाना भवन का उद्घाटन करने के साथ ही 'नवोन्मेषी तकनीक प्रदर्शन परियोजना' का शिलान्यास भी किया. 29 सितंबर 2016 को प्रणब दा सपरिवार हरिद्वार पहुंचे और गंगा आरती में शामिल भी हुए थे.

आशियाना भवन का उद्घाटन करते प्रणब दा.

22 जून 2016 का दौरा

22 जून 2016 को प्रणब दा बाबा केदार के दर्शन करने आये थे. इस दौरान राष्ट्रपति के हेलीकाप्टर ने दो बार गौरीकुंड तक उड़ान भरी. लेकिन मौसम की खराब होने की वजह से केदारनाथ धाम जाने का फैसला रद्द करना पड़ा.

प्रणब दा का केदारनाथ दौरा

28 सितंबर 2016 में प्रणब मुखर्जी ने केदारधाम में धाम में पूचा अर्चना कर मत्था टेका. वे केदारनाथ दर्शन करने वाले देश के दूसरे राष्ट्रपति हैं. इस दौरान तत्कालीन राज्यपाल केके पॉल और तत्कालीन सीएम हरीश रावत प्रणब दा के साथ मौजूद रहें.

केदारनाथ में प्रणब दा.

प्रणब दा का बदरीनाथ दौरा

6 मई 2017 जब बदरीनाथ धाम के कपाट खुले तो बतौर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी वहां मौजूद थे. प्रणब दा ने बदरी विशाल के दर्शन-पूजन किए. बदरीनाथ धाम में प्रणब मुखर्जी ने गर्भगृह में मंत्रोच्चार के बीच भगवान बदरी विशाल की पूजा-अर्चना की. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी प्रणब मुखर्जी के साथ मौजूद रहें.

केदारनाथ के पुरोहितों संग प्रणब दा.

एलबीएस अकादमी का दीक्षांत समारोह

9 दिसंबर 2016 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी लाल बहादुर शास्त्री अकादमी के 91वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए. इस दीक्षांत समारोह में लगभग 397 अधिकारी शामिल थे. इस दौरान करीब 1 घंटे तक प्रणब दा एलबीएस अकादमी में रहे थे.

एलबीएस एकेडमी में अधिकारियों के साथ प्रणब दा.

मसूरी वासियों के दिलों में बनाई जगह

9 दिसंबर 2016 बतौर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का फ्लीट इतनी सादगी से एलबीएस अकादमी पहुंचे कि लोग उनकी सादगी के दिवाने हो गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब प्रणब दा की फ्लीट पोलो ग्राउंड से चली तो फ्लीट में शामिल पायलट कार और अन्य कारों के साइरन और हूटर एक बार भी नही बजाए गए. एलबीएस अकादमी के गेट के ठीक नीचे उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चे रोजाना की तरह क्लास में पढ़ रहे थे. स्कूल की गेट बाहर एक पुलिसकर्मी तैनात था. राष्ट्रपति का काफिला बड़े आराम से एलबीएस अकेडमी में गया और आमजनता को कई परेशानी नहीं हुई.

10 जुलाई 2017 बतौर राष्ट्रपति उत्तराखंड का आखिरी दौरा

10 जुलाई 2017 को प्रणब मुखर्जी बतौर राष्ट्रपति अंतिम बार उत्तराखंड दौरे पर पहुंचे. इस दौरान प्रणब मुखर्जी ने राजपुर स्थित 'आशियाना' में बने नए एनेक्सी का उद्घाटन किया और उत्तराखंड की प्रकृति के खूबसूरत नजारों का आनंद भी लिया.

प्रणब दा का राजनीतिक जीवन

प्रणब मुखर्जी जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे. इसके पहले उन्होंने वित्त, रक्षा और विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली थी. साल 2004 से 2012 तक केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में उन्हें प्रमुख संकटमोचक माना जाता था. प्रणब दा के राजनीतिक अनुभव की बात करें तो उन्हें 1969 से पांच बार राज्यसभा सांसद और 2004 से दो बार लोकसभा सांसद के तौर पर चुने गए. इस दौरान उन्होंने राजस्व एवं बैंकिंग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वाणिज्य एवं इस्पात और खान मंत्री, वित्त मंत्री, वाणिज्य मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री समेत विभिन्न मंत्रालयों का पदभार संभाला. वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे. प्रणब दा 23 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था कार्य समिति के सदस्य भी रहे हैं.

कांग्रेस के सीनियर नेताओं में से एक रहे प्रणब दा का सम्मान सभी पार्टियों के नेता करते हैं. प्रणब मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के गांव मिराटी में एक ब्राह्मण परिवार में 11 दिसंबर 1935 को हुआ था. प्रणब मुखर्जी के पिता कामदा किंकर मुखर्जी बीरभूम के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और आजादी की लड़ाई में वो 10 सालों से ज्यादा समय तक ब्रिटिश जेलों में कैद रहे.

प्रणब मुखर्जी ने अपना करियर कोलकाता में डिप्टी अकाउंटेंट जनरल के कार्यालय में क्लर्क के रूप में शुरू किया था. लेकिन इसके बाद अपनी मेहनत और बुद्धिमत्ता से वो आगे बढ़ते गए. उनके पिताजी 1920 से इंडियन नेशनल कांग्रेस के कार्यकर्ता थे. देश की आजादी के बाद वो 1952 से लेकर 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद के सदस्य रहे. प्रणब दा अपने पिता के जरिए ही राजनीति में प्रवेश किया.

वित्तमंत्री के बतौर दर्ज हैं कई रिकॉर्ड

प्रणब दा का वित्तमंत्री के बतौर कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. प्रणब दा ने सबसे ज्यादा सात बार बजट पेश किया है. वो ऐसे एकलौते वित्तमंत्री रहे हैं, जिन्होंने वित्त मंत्रालय का प्रभार आर्थिक उदारवाद से पहले भी संभाला है और उसके बाद भी. 1984 में यूरोमनी मैग्जीन ने उन्हें दुनिया के सबसे बेहतरीन वित्तमंत्री के तौर पर सम्मान दिया.

Last Updated : Aug 31, 2020, 7:49 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details