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सेना के जवानों को 100 जोड़ी स्नोशूज भेंट करेगी कांग्रेस, बीजेपी पर निशाना साधने से भी नहीं चूके - Jawans posted in Siachen

बर्फीले इलाकों में सैनिकों के लिए स्नो बूट्स, स्नो गॉगल्स, जैकेट व स्लीपिंग बैग्स की कमी को देखते हुए उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी ने भारतीय सेना के जांबाजों को 100 जोड़ी स्नो बूट्स भेंट करने की पेशकश की है.

Dehradun Hindi News
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Published : Feb 7, 2020, 8:54 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी ने संसद के दोनों सदनों में कैग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को आधार बनाते हुए बहादुर सैनिकों के लिए 100 जोड़ी स्नो बूट्स भेंट करने की पेशकश की है. इस संबंध में देश के रक्षा मंत्री और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को पत्र लिखकर प्रस्ताव भेजा जाएगा. कांग्रेस पार्टी ने सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो सरकार सैनिकों की शहादतों के नाम पर वोट बटोरने का काम कर रही है. उसके शासनकाल में बर्फीले इलाकों में देश की सुरक्षा कर रहे सैनिकों के लिए जरूरत के सामानों की कमी बनी हुई है.

कांग्रेस पार्टी भारतीय सेना के जवानों को भेंट करेगी 100 जोड़ी स्नो शूज.

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि बीजेपी शासनकाल में देश की रक्षा के लिए सियाचीन, गुलमर्ग और लद्दाख में माइनस 55 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर तैनात जवानों के पास अगर स्नोबूट्स, स्नो गॉगल्स की कमी और हाई एल्टीट्यूट में पर्याप्त भोजन न मिले तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात और कुछ नहीं हो सकती.

धस्माना ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बीते सोमवार को देश की संसद के दोनों सदनों में कैग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ कि ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात सैनिकों के लिये जरुरत के सामानों की कमी बनी हुई है. ऐसे में उत्तराखंड के लोगों में भी चिंता होना स्वाभाविक है. क्योंकि उत्तराखंड एक सैन्य बाहुल्य प्रदेश है. धस्माना ने ठंड व ऑक्सीजन की कमी से शहीद हुए उत्तराखंड के सैनिक का जिक्र करते हुए कहा कि दो दिन पूर्व ही सियाचीन में तैनात सैनिक रमेश बहुगुणा का शव उत्तराखंड आया था. जो ठंड और ऑक्सीजन की कमी के चलते शहीद हो गए थे. इसलिए कैग की रिपोर्ट से उत्तराखंड के निवासियों के मन में चिंता होना स्वभाविक है.

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सूर्यकांत धस्माना ने इंडियन नेशनल यूनिवर्सिटी के मसले को भी उठाते हुए कहा कि साल 1999 में कारगिल रिव्यू कमेटी ने इंडियन नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी की सिफारिश की थी. जिसको यूपीए सरकार ने 2010 में स्वीकृति प्रदान की थी और 2012 में गुड़गांव में 164 करोड़ रुपये की भूमि खरीदकर उपलब्ध कराई गई थी, जिसका काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है. कैग ने ये भी खुलासा हुआ है कि इस विश्वविद्यालय का प्रस्ताव बीते 6 वर्षों से केंद्र सरकार के पास लंबित है, ऐसे में इस योजना की कीमत 395 करोड़ से काफी बढ़ गई है.

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