देहरादून:मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कैबिनेट बैठक हुई. कैबिनेट बैठक में सबसे ज्यादा जमीनों से जुड़े मामलों पर फैसले लिए गये, जिसमें कई मामलों को सिंगल विंडो सिस्टम और वन टाइम सेटेलमेंट के माध्यम से निपटाने के दिशा में प्रयास किये गये हैं, तो कई स्थानीय निकायों का उच्चीकरण भी किया गया है.
नजूल भूमि पट्टाधारकों को बड़ी राहत:प्रदेश के शहरी निकाय क्षेत्रों में नजूल भूमि के हजारों पट्टाधारकों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी गई है. वर्षों से नजूल पट्टों पर काबिज पट्टाधारकों अब अपने पट्टों को फ्री होल्ड करा सकेंगे. साथ ही उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. अध्यादेश के तहत पूर्व में बनी नजूल नीति को निरस्त करने का प्रावधान किया गया है.
राज्य की राजधानी देहरादून, उधम सिंह नगर और नैनीताल के नगरीय क्षेत्रों में काफी नजूल भूमि है. इस नजूल भूमि पर आम लोग वैध व अवैध रूप से काबिज हैं. इस भूमि का उपयोग राज्य व केंद्र सरकार के प्रतिष्ठानों और नगर निकायों व प्राधिकरणों द्वारा भी किया जा रहा है.
नजूल भूमि विवादःसरकार के कब्जे की ऐसी भूमि जिसका उल्लेख राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है. ऐसी भूमि का रिकॉर्ड निकायों के पास होता है. बता दें कि देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे अधिक नजूल भूमि है. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रदेश में 392,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है. इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर डेढ़ लाख से अधिक लोग काबिज हैं. कहीं भूमि लीज पर है तो कहीं इस पर दशकों से कब्जे हैं.
इसके अलावा उत्तराखंड भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत जनहित में फिलिंग स्टेशन की स्थापना के लिए भवन निर्माण और विकास की उपविधि में संशोधन कर मानकों में छूट दी गई है. एकल आवास और कमर्शियल भवनों/आवासीय भू-उपयोग में व्यवसायिक दुकान और आवासीय क्षेत्रों में नर्सिंग होम/क्लीनिक/ओपीडी/पैथोलॉजी लैब/नर्सरी स्कूल इत्यादि के विनियमतिकरण हेतु एकल समाधान योजना 24 सितम्बर, 2021 से बढ़ाकर मार्च 2022 तक करने का निर्णय लिया गया है.