देहरादूनःएक मार्च से भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में चल रहे विधानसभा बजट सत्र के चौथे दिन यानी गुरुवार को बजट पेश किया जाएगा. यह बजट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद पेश करेंगे. चार मार्च को पेश होने वाला बजट कई मायने में बेहद खास रहने वाला है. क्योंकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल का यह आखिरी बजट सत्र है. ऐसे में यह बजट काफी लोक लुभावना रहने वाला है. चुनावी वर्ष में सरकार करीब 57 हजार करोड़ से अधिक का बजट लेकर आ रही है. जबकि पिछले बजट सत्र में 53,526.97 करोड़ का करमुक्त बजट पेश किया था. इस बजट को लेकर बुद्धिजीवियों की क्या राय है देखिए इस रिपोर्ट में.
राज्य सरकार ने पहले ही यह तय कर दिया है कि यह साल चुनावी साल है. लिहाजा राज्य सरकार आगामी साल 2022 विधानसभा चुनाव को देखते हुए जनता को रिझाने के लिए तमाम तरह के कार्य कर रही है. जिसमें ना सिर्फ राज्य सरकार तमाम लंबित पड़े योजनाओं और घोषणाओं को पूरा करने पर जोर दे रही है, बल्कि विकास कार्य को भी अमलीजामा पहनाने के साथ ही केंद्र सरकार से बड़ी सौगातें भी लाने का कार्य कर रही है. कुल मिलाकर देखें तो इस बजट में राज्य सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. यही वजह है कि कोविड महामारी से प्रभावित राज्य की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार करीब 57 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश करने जा रही है.
बजट का आकार बढ़ाकर सरकारें लूटती हैं वाहवाही
वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से ऐसा देखा जा रहा है कि सरकारी बजट को लोग लुभावना बनाने के साथ ही बजट का आकार बढ़ा देते हैं. जिससे सरकार वाहवाही लूट सके कि राज्य के विकास के लिए सरकार के पास बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. लेकिन जब बजट की वास्तविकता सामने आती है तो उस दौरान तमाम संकायें भी उत्पन्न हो जाती हैं. क्योंकि अगर हम फिक्स खर्चों की बात करें तो वह करीब 14 हजार करोड़ रुपये है. इसके अतिरिक्त अन्य विकास कार्यों के लिए भी बजट की आवश्यकता पड़ती है. हालांकि, सरकारें तो बजट का आकार बढ़ा देती हैं लेकिन सवाल यही रहता है कि बजट इकट्ठा करने के लिए हमारे पास संसाधन क्या हैं?
फिक्स खर्चे के लगभग बराबर सरकार का सालाना राजस्व
अगर राज्य की इनकम की बात की जाए तो सालाना राज्य की इनकम उतनी ही होती है, जितनी राज्य सरकार के फिक्स खर्चे हैं. ऐसे में हर साल राज्य सरकार बजट का आकार बढ़ाती है लेकिन यह तय नहीं हो पाता है कि बजट के पैसे कहां से आएंगे? क्योंकि, अगर हिसाब लगाएं तो राज्य सरकार का फिक्स कर करीब 14 हजार करोड़ होता है.
इस बार करीब 57 हजार करोड़ रुपए का बजट पेश होने जा रहा है. ऐसे में बचा हुआ करीब 43 करोड़ रुपये के बजट कहां से आएगा एक बड़ा सवाल है? हालांकि, इसके लिए राज्य सरकार को केंद्रीय एजेंसियों में हाथ फैलाना पड़ता है या फिर जो वर्ल्ड बैंक की योजनाएं और अन्य समझौते के तहत फंडिंग की जाती है. इसके अतिरिक्त केंद्रीकृत फंडिंग से बजट मिलता है.
लोक लुभावन बजट