देहरादूनःउत्तराखंड भाजपा की राजनीति का नया दौर शुरू हो चुका है. एक समय गुटबाजी की चर्चा होते ही भाजपा में कोश्यारी और खंडूड़ी गुट (Koshyari and Khanduri factions in BJP) की बात की जाती थी, लेकिन इनदिनों भाजपा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और त्रिवेंद्र सिंह रावत दो अलग-अलग गुटों (Dhami and Trivendra faction in BJP) के रूप में देखे जा रहे हैं. बड़ी बात यह है कि इस दौरान डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री धामी के करीब माना जा रहा है तो वहीं त्रिवेंद्र सिंह अनिल बलूनी के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं.
सतह पर गुटबाजी:उत्तराखंड में राजनेताओं की गुटबाजी (Political factionalism in Uttarakhand) का जिक्र होता था तो कांग्रेस चर्चा में रहती थी. बीती घटनाओं के आधार पर माना जाता था कि अंतर्कलह और गुटबाजी के कारण कांग्रेस पार्टी में आज ऐसी स्थिति है. लेकिन बीते कुछ वक्त से अनुशासित कही जाने वाली भाजपा में राजनीतिक द्वंद का मौहाल ज्यादा प्रभावी दिखाई दे रहा है. हैरानी की बात ये है कि पिछले करीब 10 सालों में पहली बार नेताओं का ऐसा टकराव सतह पर दिखाई दिया है.
SLP वापसी से ताजा टकराव:हाल के कुछ उदाहरण भी इस बात को पुख्ता करते हैं. ताजा टकराव की शुरुआत धामी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एक एसएलपी वापस लेने के फैसले के बाद से हुई है. कहने-सुनने में तो ये एक सामान्य प्रक्रिया लगती है लेकिन परतों के अंदर की कहानी कुछ और कहती है. दरअसल, ये विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी साल 2020 में उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी. वो फैसला हाई कोर्ट द्वारा पत्रकार उमेश कुमार से राजद्रोह का मामला हटाने और तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़े एक मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने का था. तब त्रिवेंद्र सीएम थे और सरकार उनकी थी तो सरकार की ओर से भी मामला दायर किया गया.
अब भी सरकार बीजेपी की ही है लेकिन मुखिया अलग हैं. यही वजह रही कि जैसे ही धामी सरकार की ओर से एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट से वापस लेने का कदम उठाया गया, बढ़ा विवाद पैदा हो गया. आनन-फानन में फिर सरकार ने यू-टर्न लेते हुए एसएलपी को यथावत रखने का फैसला किया, लेकिन तबतक धामी-त्रिवेंद्र के बीच की 'दूरियां' सबके सामने आ गईं. इस प्रकरण के बाद पार्टी दो खेमों में बंटती नजर आई है.
पढ़ें-एक साल में ही अपनों के निशाने पर धामी सरकार, तीरथ से लेकर त्रिवेंद्र के बयानों ने खड़ी की परेशानी
पहले भी रही हैं खींचतान:इससे पहले भी त्रिवेंद्र सिंह रावत और पुष्कर सिंह धामी के बीच राजनीतिक खींचतान की खबरें सामने आती रही हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहले अंकिता हत्याकांड, उसके बाद विधानसभा भर्ती मामला और यूकेएसएसएससी मामलों में एक के बाद एक बयान दिए. उनके बयानों से धामी सरकार कई दफा असहज भी हुई. त्रिवेंद्र सिंह रावत और मौजूदा मुख्यमंत्री के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, यह बात तब सामने आई जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री से लगभग 45 मिनट की मुलाकात की. तब अंदाजा लगाया गया कि पीएम मोदी ने राज्य में चल रहे तमाम मुद्दों को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत से फीडबैक लिया. पीएम मोदी से मिलने के बाहर बाहर निकले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे सिर्फ और सिर्फ शिष्टाचार भेंट बताकार सियासी पारा और बढ़ा दिया. इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाकम सिंह पर भी खुलकर टिप्पणी की. उनके कुछ बयानों ने यह जता दिया कि वह अपने बयानों से पीछे नहीं हटेंगे.